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सोयाबीन की उत्तम खेती एवं पैदावार
Modern Kheti - Hindi
|15th June 2025
सोयाबीन खरीफ की फसल है। सोयाबीन जीव पोषण और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी खाद्य पदार्थ है, जिसके अंदर कार्बोहाइड्रेट 21 प्रतिशत, वसा 22 प्रतिशत, प्रोटीन 33 प्रतिशत और 12 प्रतिशत नमी होती है। इसलिए हम कह सकते है कि सोयाबीन मानव जीवन के लिए कितना उपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन भारत की सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी और जड़ ग्रंथी फसल है।
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खाद्य तेल आपूर्ति और सोया खली निर्यात से सोयाबीन ने भारत देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान की है। हालांकि इसके क्षेत्रफल में काफी वृद्धि हुई है, परन्तु प्रति क्षेत्रफल उत्पादन बढ़ाना अति आवश्यक है जो नवीनतम सस्य क्रियाओं के साथ उन्नतशील और कीट-व्याधि अवरोधी किस्मों के प्रयोग से बढ़ाया जा सकता है। इस लेख में सोयाबीन उत्पादन के उन्नत प्रबन्धन का वर्णन किया गया है।
सोयाबीन की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु
सोयाबीन की अच्छी वृद्धि तथा उपज के लिए गर्म और नम जलवायु की आवश्यकता होती है। सोयाबीन के बीजों के अंकुरित होने के लिए लगभग 25 डिग्री सेल्सियस एवं फसल की बढ़ोतरी के लिए लगभग 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। सोयाबीन की अच्छी फसल के लिए वार्षिक वर्षा 60 से 70 सेल्सियस होनी चाहिए।
सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त भूमि
सोयाबीन की सफल खेती के लिए उपजाऊ, अच्छे जल निकास वाली, नमकरहित, मध्यम से भारी दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है।
सोयाबीन की खेती और फसल चक्र
सोयाबीन की खेती निम्नलिखित फसल चक्रों में की जा सकती है, जैसे-
सोयाबीन - गेहूं
सोयाबीन - चना
सोयाबीन - आलू
सोयाबीन - सरसों
सोयाबीन - अलसी
सोयाबीन - कुसुम आदि।
इन फसल चक्रों के अलावा सोयाबीन की खेती निम्नलिखित अन्तर फसली पद्धति में भी की जा सकती है, जैसे-
सोयाबीन + अरहर
सोयाबीन + ज्वार
सोयाबीन + मूंगफली
सोयाबीन + मक्का
सोयाबीन + बाजरा
सोयाबीन + कपास आदि।
सोयाबीन की खेती के लिए खेत की तैयारी
खेत की तैयारी के लिए रबी फसल की कटाई के बाद मई के महीने में तीन वर्षों में एक बार गहरी जुताई और प्रत्येक वर्ष सामान्य जुताई करके खेत को खुला छोड़ देना चाहिए, ताकि उसमें रहने वाले हानिकारक कीट, बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों और खरपतवारों का नाश हो सके। बुवाई से पहले खेत को दो बार कल्टीवेटर या हैरो चलाकर पाटा लगा देना चाहिए, ताकि खेत समतल हो जाए।
सोयाबीन की खेती के लिए बुवाई का समय
Diese Geschichte stammt aus der 15th June 2025-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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