"मेरे अंडों से बच्चे निकल रहे हैं,” उस ने पड़ोसी चिड़ियों को चिल्ला कर बताया. कुछ ही देर में खोल से बाहर निकल आया और अपनी लाल चोंच से अपनी मां मिनी चिड़िया की चोंच को छूने लगा. मिनी की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने भी अपनी नन्हीं जान को पंखों से सहला कर प्यार किया.
Diese Geschichte stammt aus der October Second 2020-Ausgabe von Champak - Hindi.
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बहादुर हिप्पो
हैनरी हिप्पो को प्रतिष्ठित आनंदवन वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया था. उस ने अपनी जान जोखिम में डाल कर माधव बंदर के बेटे जैन को भूखे लकड़बग्घे से बचाया था. पुरस्कार समारोह के बाद फरहान खरगोश ने द जंगल टाइम्स की तरफ से इंटरव्यू के लिए हैनरी से संपर्क किया.
पौलिनेटर गार्डन ब्लूम शो
सिया ने चमकदार ब्रोशर देखा, जिसे उस की पड़ोसिन त्रिशा ने उसे दिखाया था. यह ब्रोशर चंपक वैली के पौलिनेटर गार्डन ब्लूम शो के बारे में था. स्कूल के बाद त्रिशा आमतौर पर 8 वर्षीय सिया की देखभाल करते हुए अपना होमवर्क किया करती थी.
आरव ने सीखा सबक
रविवार का दिन था. आरव सुबह आराम से सो कर उठा...
ब्रेल का उपहार
तन्मय अपने दादाजी के साथ बाजार जा रहा था, तभी उसने देखा कि एक दृष्टिहीन व्यक्ति सड़क पार करने की कोशिश कर रहा है. अचानक एक लड़का दौड़ कर आया और उस व्यक्ति की सड़क पार करने में मदद करने लगा.
मजेदार आइडिया
बैडी सियार की नजर बहुत दिन से मनी हिरन पर थी. हालांकि वह उस के हाथ ही नहीं आता था, क्योंकि मनी बहुत तेज दौड़ता था.
लेकिन यह चौकलेट नहीं है
\"मुझे उस से नफरत है,\" हमसा ने अपनी सैंडल उतारीं और उन्हें लात मारीं. उस के उखड़े मूड की तरह सैंडल विपरीत दिशाओं में उड़ती चली गईं...
भीम का संकल्प
वर्ष 1901 की बात है. उस समय भारत में अंग्रेजों का राज था. महाराष्ट्र के सतारा में एक 9 वर्ष का बालक भीम अपने बड़े भाई, भतीजे और दादी के साथ रहता था. उस के पिता कोरेगांव में खजांची की नौकरी करते थे.
अंधेर नगरी चौपट राजा
चीकू खरगोश और मीकू चूहा विश्व भ्रमण पर निकले थे. घूमतेघूमते दोनों 'जंबलटंबल' नामक शहर के बाहरी इलाके में जा पहुंचे..
रैटी की पूंछ
रैटी चूहा आनंदवन में अपनी कजिन चिंकी चिपमंक के साथ रहता था, जो दो महीने पहले लंदन से आया था. एक दिन रैटी अपने घर में उदास बैठा था. उसे उदास देख कर उस की दोस्त चिंकी ने पूछा, \"क्या बात है रैटी, तुम बड़े उदास लग रहे हो. किसी परेशान किया क्या? कहीं बैडी बिल्ली ने तुम्हें पंजा तो नहीं मारा या फिर हमेशा की तरह तुम्हारे पेट में भूख के मारे चूहे कूद रहे हैं. शायद इसीलिए तुम्हारे चेहरे पर बारह बज रहे हैं.\"
जलियांवाला बाग बलिदानियों की याद
\"बहुत बढ़िया, आज के लिए नया शब्द है, एम. ए. एस. एस. सी. आर. ई. कंचना मैम ने ब्लैक बोर्ड पर एक के बाद एक अक्षर लिखा.