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Vivek Jyoti - December 2024

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Vivek Jyoti
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Vivek Jyoti Description:

भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।

आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।

In dieser Ausgabe

1. हजारों गौरी-माताओं की आवश्यकता है : विवेकानन्द ५३४ 2. शक्तिरूपिणी मातृरूपिणी श्रीमाँ सारदा (स्वामी पररूपानन्द) ५३७ 3. सत्यवादी ही नहीं, सत्य में प्रतिष्ठित भी हों (स्वामी सत्यरूपानन्द) ५४१ 4. जगद्धात्रीरूपिणी श्रीमाँ सारदा (स्वामी ईशानन्द) ५४३ 5. (बच्चों का आंगन) भगवद्गीता से मोनू का जीवन सफल हुआ (श्रीमती मिताली सिंह) ५४५ 6. सामाजिक विकास में मन्दिरों की भूमिका (श्रीमती अनिता शुक्ला) ५४६ 7. (युवा प्रांगण) जीवन को गौरवशाली बनाने में प्रेरणा की आवश्यकता (स्वामी गुणदानन्द) ५४९ 8. श्रीमद्भगवद्गीता की प्रत्येक काल में प्रासंगिकता (डॉ.के.डी.शर्मा) ५५१

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