Gambhir Samachar - May 01, 2021Add to Favorites

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फॉर्मल हुआ हर्बल

लगभग एक शताब्दी बाद दुनिया यह देखने के लिए बाध्य हुई कि एक महामारी ने पूरी धरती को एक साथ अपनी चपेट में ले लिया. तमाम आधुनिक मेडिकल साइंस इस महामारी को नियंत्रित करने में विफल साबित हुआ.

फॉर्मल हुआ हर्बल

1 min

कोरोना काल में आयुर्वेद की ओर आत्मनिर्भर भारत

आयुर्वेद प्राकृतिक एवं समग्र स्वास्थ्य की पुरातन भारतीय पद्धति है. संस्कृत मूल का यह शब्द दो धातुओं के संयोग से बना है आयुः + वेद 'आयु' अर्थात लम्बी उम्र (जीवन) और 'वेद' अर्थात विज्ञान.अतः आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ जीवन का विज्ञान है.

कोरोना काल में आयुर्वेद की ओर आत्मनिर्भर भारत

1 min

प्रकृति के अनुरूप थे हमारे पुरखे!

मनुष्य को प्रकृति के करीब ला रहा है कोरोना. जी हा, आपने बिलकुल सही पढ़ा है. जब-जब मनुष्य प्रकृति के नियमों के विरुद्ध चला है, तब-तब उसे बीमारियों और संक्रमण फैलाने वाले वायरसों से दो-दो हाथ होना पड़ा है. प्राचीन समय ऋषि-मुनियों के आश्रम प्राकृतिक वातावरण के बीच हुआ करते थे और उन्हीं आश्रमों में रहकर ये ईश्वरीय ध्यान करते थे और शिष्यों को शिक्षा प्रदान किया करते थे. इतना ही नहीं ये ऋषि-मुनि प्रकृति के करीब रहकर सौ साल से ऊपर तक की आयु में भी स्वस्थ जीवन जीया करते थे. लेकिन आज हम पक्के घरों की चार दीवारी में बंद परवे, कूलर और एसी की हवा खाकर बीमार हो रहे हैं जो वायरस और संक्रमण को फैलाने में अहम भूमिका अदा करते हैं.

प्रकृति के अनुरूप थे हमारे पुरखे!

1 min

ऑक्सीजन और वनों की उपयोगिता

कोरोना वैक्सीन छोड़िए, इस संकट में लोगों को ऑक्सीजन तक नसीब नहीं हो रही है. 'कोरोना सांसे छीन रहा है', अब तक लोग सुनते आ रहे थे पर जिस तरह से सभी राज्यों में ऑक्सीजन की कमी हुई है, उसमें लोग यह दर्दनाक वाकया देखने को मजबूर हो गए हैं. आत्मा सिहर कर रह जाती है, जैसे ही कोई अखबार पढ़ो या टीवी देखो. हर तरफ कोरोना ने कोहराम मचा रखा है. उससे भी ज्यादा दुरवद यह है कि लोगों को ऑक्सीजन तक मयस्सर नहीं हो रही है.

ऑक्सीजन और वनों की उपयोगिता

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ऑक्सीजन के क्यों पड़े लाले?

कोरोना के शिकार कई मरीज इलाज के इंतजार में दम तोड़ रहे हैं. जिन लोगों को साँस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही है उनका इलाज करने में अस्पतालों को दिन-रात एक करना पड़ रहा है. जिन लोगों को किस्मत से बेड मिल गई है, उनकी साँसें बचाने के लिए अस्पताल भारी जद्दोजहद में जुटे हैं. सोशल मीडिया और व्हॉट्स ग्रुप पर ऑक्सीजन सिलिंडरों की माँग करती अपीलों की भरमार है.

ऑक्सीजन के क्यों पड़े लाले?

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ऑक्सीजन पर सियासत

कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात तो महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी और कई और भी राज्यों में करीब करीब एक जैसे ही हैं, लेकिन दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के चलते अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जान पर बन आयी है. ऑक्सीजन न मिलने की वजह से तो वेंटिलेटर पर रहे 22 मरीजों की महाराष्ट्र के अस्पताल में भी मौत हो गयी, लेकिन वहां ऑक्सीजन की कमी नहीं थी, बल्कि, गैस लीक होने के चलते करीब आधे घंटे तक मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचने में रुकावट आ गयी.

ऑक्सीजन पर सियासत

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मुंबई का ऑक्सीजन मैन

देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की कमी के चलते लोगों की जान जा रही है. ऐसे में मुंबई के मलाड स्थित मालवणी के 32 वर्षीय शाहनवाज शेख कुछ जिंदगियाँ बचाने के लिए मैदान में हैं.पैसों की कमी हुई, तो उन्होंने अपनी महंगी एसयूवी कार बेच दी और ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर लोगों को मुफ्त ऑक्सीजन देना शुरू कर दिया. सिलेंडर कम पड़े, तो अपनी सोने की चेन के साथ कुछ और जरूरी चीजें बेच दी. शाहनवाज शेख ने बताया, 'ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जा रही है. ऐसे में हमारा प्रयास है कि जितना संभव हो, हम लोगों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुँचाएँ और लोगों की जान बचाएँ. इसके लिए हमने अपनी एसयूवी कार सहित कुछ कीमती सामान बेच दिया.'

मुंबई का ऑक्सीजन मैन

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भाजपा के लिए खतरनाक है मोदी का आत्मनिर्भर भारत अभियान!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का मकसद तो यही है कि हर बात के लिए सारे लोग सरकार का मुंह न देखते रहें जितना भी संभव हो सके खुद भी कुछ न कुछ करें और अपने आस पास के लोगों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें.जब देश का प्रत्येक नागरिक आत्मनिर्भनर बनने की कोशिश करेगा तो सरकार पर काम का बोझ कम होगा और सरकार लोगों की बुनियादी जरूरतों को छोड़ आगे के बारे में सोचेगी. ये समझाइश भी इसीलिए रही है कि कोई ये न सोचे कि सरकार ने आपके लिए क्या किया हमेशा लोग ये सोचें कि देश के लिए हमने क्या किया?

भाजपा के लिए खतरनाक है मोदी का आत्मनिर्भर भारत अभियान!

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कोरोना को हराने आई सेना

कोरोना से जंग लड़ने के लिए अब भारतीय सेना भी मोर्चे पर आ गई है. इसलिए यह उम्मीद बंधी है कि कोरोना की चालू लहर पर काबू पाने में मदद मिलेगी.

कोरोना को हराने आई सेना

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अब बढ़ेगी पाकिस्तान की मुश्किलें

पहले से एक साथ कई मुश्किले झेल रहे पाकिस्तान के लिए अब एक और नई मुश्किलें खड़ी होने जा रही है. दरअसल, आफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान की भूमिका रही है. इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में तैनात सभी अमेरिकी सैनिक सितंबर की 11 तारीख तक वापिस लौट जाएंगे. अमेरिका की इस डेडलाइन पर पाकिस्तान नजर बनाए हुए हैं. पाकिस्तान का कहना है कि अमेरिकी सैनिकों के वापस जाने को अफगान शांति प्रक्रिया से जोड़ा जाना चाहिए.

अब बढ़ेगी पाकिस्तान की मुश्किलें

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VerlagMohta Publishing

KategorieNews

SpracheHindi

HäufigkeitFortnightly

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