सप्त चिरंजीवियों में स्थान प्राप्त महावीर हनूमान् ने चारित्रिक दृढ़ता, बल, शौर्य एवं स्वामीभक्ति का जो अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह सर्वत्र दुर्लभ है। श्री हनूमान् जी के जन्मकाल और जन्म समय के सम्बन्ध में अनेक मतभेद विद्वानों में हैं, लेकिन शोध और विश्लेषण के पश्चात् जो प्रामाणिक जन्मपत्रिका हमें उपलब्ध हुई, उसके अनुसार हम इनके व्यक्तित्व और कृतित्व का आकलन प्रस्तुत कर रहे हैं। हनुमान जी की पत्रिका में लग्न मकर है और चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में स्थित है। सूर्य, मंगल, शुक्र, गुरु और शनि अपनी-अपनी उच्च राशियों में स्थित हैं। इनकी और भगवान् श्रीराम की जन्मपत्रिका में बहुत साम्य है।
जन्मपत्रिका में लग्न का प्रमुख स्थान होता है। श्री हनूमान जी की जन्मपत्रिका में मकर लग्न है। मकर लग्न वाले सामान्यतः मजबूत कदकाठी वाले और बलिष्ठ होते हैं। इसका सर्वोत्तम उदाहरण हनूमान् जी हैं। इसके अतिरिक्त चन्द्र लग्न, सूर्य लग्न और जन्म लग्न तीनों में ही केन्द्र भावों में उच्च के ग्रह स्थित हैं। लग्नेश शनि उच्च का है और लग्न पर उच्च के गुरु की दृष्टि इसी कारण श्री हनुमान जी ने त्याग और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
लग्न स्थान में उच्च राशि का मंगल स्थित है। पराक्रम भाव में उच्च राशि का शुक्र स्थित है। इन ग्रह स्थितियों के कारण ही महावीर हनूमान् महान् पराक्रमी और अतुलनीय शत्रुहन्ता हुए। सूर्य, रावण, मेघनाद, भीम और इन्द्र जैसे महान् योद्धाओं के गर्व को भी उन्होंने अपने पराक्रम से चूर-चूर कर दिया था।
هذه القصة مأخوذة من طبعة April 2024 من Jyotish Sagar.
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।