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सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
वास्तु शास्त्र से जानें कौनसे पेड़ लगाने चाहिए और कौनसे नहीं?
घर के समीप अशुभ वृक्ष लगे हों और उनको किसी कारण से नहीं काट सकते हों, तो अशुभ वृक्ष और घर के बीच में शुभ फल वाले वृक्ष लगा देने चाहिए।
अहिंसा के प्रवर्तक भगवान् महावीर
जैन धर्म की चार संज्ञाओं का बहुत महत्त्व है। प्रथम संज्ञा है 'जिनेन्द्र' अर्थात् जिन्होंने इन्द्रियों को जीतकर अपने वश में कर लिया है। दूसरी ‘अरिहंत’ अर्थात् जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया है। तीसरी संज्ञा 'तीर्थंकर' है।
ज्योतिष और वैवाहिक सुख
जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह हमारे मानव जीवन में अहम स्थान रखते हैं। यह समस्त प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक शुक्र ही है।
वक्री ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
अपनी जन्मपत्रिका में वक्री ग्रह को पहचानकर कोई भी व्यक्ति उस वक्री ग्रह द्वारा परोक्ष रूप से दी जाने वाली सीख को आत्मसात करके अपने जीवन को सरल बना सकता है।
नववर्ष का अभिनन्दन
भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथियाँ मार्च और अप्रैल के माह में आती हैं। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
ऊर्जा प्रदायिनी आद्याशक्ति
नवरात्र का पर्व व्यक्ति के भीतर स्थित आसुरी शक्ति (काम, क्रोध, असत्य, अहंकार आदि) को नष्ट कर दैवीय सम्पदा के तत्त्वों का प्रार्दुभाव करता है।
नवरात्र पर कुमारी भोजन से पूर्व करें कढ़ाई पूजा
कढ़ाई पूजन एक ऐसी ही परम्परा है, जो आंचलिक भिन्नता के आधार पर अलग-अलग रूपों में प्रचलित रही है। कहीं यह बहुत संक्षेप में है, तो कहीं इसके साथ अन्य अनुष्ठान भी होते हैं।
सफलता के लिए तिथि के अनुसार करें अपने कार्य
सेना सम्बन्धी कार्य, मुकदमेबाजी जैसे अदालती कार्य निबटाना, वाहन खरीदना, कलात्मक कार्यों जैसे विद्या, गायन-वादन, नृत्य आदि के लिए विशेष शुभ होती हैं।
वास्तुनुरूप उत्तरामुखी भवन पर विशेष समीक्षा
महाशिवरात्रि पर विशेष
शिवरात्रि का वास्तविक मर्म
महाशिवरात्रि पर विशेष
रात्रिजागरण एवं चार प्रहर पजा
08 मार्च, 2024 (शुक्रवार)
होलिका दहन का शास्त्रीय विधान
गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है अर्जुन! जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, अग्नि के अर्पण करते हो, दान देते हो, तपस्या करते हो, उसे मेरे अर्पण करते हुए करो।
अनूठा है गजकेसरी योग
यदि गुरु और चन्द्रमा की युति होती है, तो जातक तेज दिमाग वाला, तुरन्त निर्णय लेने वाला, धार्मिक, परोपकारी तथा स्वयं के बल पर सफलता प्राप्त करने वाला होता है।
बाँसवाड़ा की सरस्वती प्रतिमाएँ
बाँसवाड़ा जिले में तलवाड़ा ग्राम में स्थित माँ त्रिपुर सुन्दरी मन्दिर।
विलक्षण सन्त श्री रामकृष्ण परमहंस
‘महाशय! क्या आपने ईश्वर को देखा है?' तब महान् साधक रामकृष्ण ने उत्तर दिया, ‘हाँ देखा है। जिस प्रकार तुम्हें देख रहा हूँ, ठीक उसी प्रकार, बल्कि उससे कहीं अधिक स्पष्टता से।'
भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य
यह सत्य है कि विज्ञान की अन्य शाखाओं की भाँति गणित विज्ञान में भी भारतीय गणितज्ञों के काफी शोध कार्य किए जाते हैं। यह भी निर्विवाद सत्य है कि विज्ञान की उन्नति मुख्यत: गणित पर ही निर्भर है। प्राचीन काल से ही भारतीय गणितज्ञों ने अंक विज्ञान में काफी प्रगति की है। भास्काराचार्य का नाम उनमें से एक है।
ज्योतिष के कतिपय प्राकृत भाषायी ग्रन्थ
इस ग्रन्थ को कूष्माण्डिनी देवी से प्राप्त कर धरसेन आचार्य ने पुष्पदन्त एवं भूतबलि नामक अपने शिष्यों के लिए लिखा था। इस ग्रन्थ में 800 गाथाएँ हैं।
भाग्य से जगमगाते अमीरी के सितारे
लग्नेश-कर्मेश और भाग्येश का सम्बन्ध बन रहा हो और ये उच्च के होकर कर्म स्थान, भाग्य स्थान अथवा लग्न स्थान, इनमें से किन्हीं दो को अपनी दृष्टि से देख रहे हों, तो जातक समय आने पर प्रसिद्धि और धन प्राप्त करता है।
कर्मयोगी स्वामी विवेकानन्द जन्मपत्रिका विश्लेषण
गुरु महादशा में गुरु की अन्तर्दशा तथा शुक्र की प्रत्यन्तर्दशा में हुए शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए व्याख्यानों से उन्हें अभूतपूर्व ख्याति प्राप्त हुई।
भारत में सूर्योपासना एक विवेचना
वेद कहते हैं 'सूर्य आत्मा जगत: तस्थुषश्च' अर्थात् सूर्य समस्त चराचर जगत् की आत्मा हैतथा ‘असवादित्योब्रह्मः' अर्थात् सम्मुख आदित्य (सूर्य) 'ब्रह्म' है। वेदों में यद्यपि सूर्य की प्रधान देवों में गणना नहीं है, फिर भी वैदिक काल में सूर्यपूजा की विद्यमानता दृष्टिगोचर होती है। सविता (सूर्य) की उपासना में गायत्री मन्त्र सर्वविदित है। आज भी नित्य सन्ध्या वन्दन में गायत्री मन्त्र का जप किया जाता है। वेदों के अनुसार भगवान् सूर्य के रथ के सात घोड़े हैं, जो ज्योतिष की दृष्टि से 'वार' के प्रतीक हैं। कालगणना सूर्य की गति पर ही आधारित है।
श्रीराम की वनवास यात्रा का भौगोलिक परिचय
भगवान् श्रीराम का यौवराज्याभिषेक कैकेयी के तीन वर माँगने के कारण न केवल स्थगित हुआ, वरन् उन्हें 14 वर्ष वनवास भी भोगना पड़ा। ये 14 वर्ष उन्होंने भ्राता लक्ष्मण एवं पत्नी सीता के साथ मध्य एवं दक्षिण भारत के दुर्गम वनों में व्यतीत किए।
ऐसा था रामयुग
रामयुग में सामान्यतः राजतन्त्रात्मक व्यवस्था का प्रचलन था। राजा को देवता सम माना जाता था और उसका राजत्व दैवीय था। वंशानुगत उत्तराधिकार का प्रचलन था।
विश्वव्यापी दीपोत्सव!
दीपोत्सव किसी न किसी रूप में सारे विश्व में अलग-अलग नाम और रूपों में मनाया जाता रहा है। यूनान के प्रसिद्ध कवि होमर ने अपने महाकाव्यों 'ओडेसी' एवं 'इलियट' में स्थान-स्थान पर दीपोत्सव का वर्णन किया है। ईसा से पाँचवीं शताब्दी पूर्व मिस्र (इजिप्ट) एवं यूनान के मन्दिरों में मिट्टी एवं धातु के दीपकों को प्रज्वलित किया जाता था।
अष्टस्वरूपा लक्ष्मी एक ज्योतिषीय विवेचना
गृहस्थ और सामाजिक जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा की आवश्यकता का महत्त्व सर्वविदित है। माँ के आशीर्वाद के बगैर सौभाग्य और सफलता की कल्पना करना भी व्यर्थ है।
व्यवसाय में अक्षय उन्नति हेतु दिवाली पर करें शाबर मन्त्र का प्रयोग
एक ऐसी साधना, एक ऐसे शाबर मन्त्र का प्रयोग एवं विधि बताई गई है, जिसका प्रयोग करने से जातक अपने व्यवसाय, अन्नक्षेत्र को अक्षय बना सकता है अर्थात् उसका व्यवसाय निरन्तर उन्नति करता हुआ नवीन ऊँचाइयों को छूता है।
पुष्कर तीर्थ में किया था सीताजी ने श्राद्ध!
श्राद्ध के दौरान सूक्ष्म रूप में पितर आते हैं। इसलिए हमें श्रद्धा और भक्ति के साथ पितर पक्ष में उनका तर्पण एवं श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।