जम्मू-कश्मीर की लिहर घाटी में स्थित हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल अमरनाथ एक प्रसिद्ध गुफा मन्दिर है। लिहर घाटी स्थित यह गुफा, ग्लेशियरों और बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है जोकि वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढँकी रहती है। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से बने प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबन्धन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहाँ आते हैं। अमरनाथ जम्मू-कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में लगभग 140 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा भगवान् शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को 'तीर्थों का तीर्थ' कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।
अमरनाथ यात्रा एक वार्षिक तीर्थ स्थल बन गया है, जिसकी यात्रा बालटाल और पहलगाम दोनों रूट पर आधार शिविरों से प्रारम्भ होती है। अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई काफी कठिन और मुश्किलों से भरी होती है, लेकिन अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहुँचते ही सफर की सारी थकान पल भर में छू-मन्तर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनन्द की अनुभूति होती है। अमरनाथ यात्रा के पूरे रास्ते में, तीर्थयात्रियों के लिए भारत के विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों एवं भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ, जैसे- भोजन, चाय, पानी, फलफ्रूट, दवाइयाँ इत्यादि की आपूर्ति की जाती है और विश्राम के लिए तम्बू लगाए जाते हैं। तीर्थयात्रियों के लिए यह सभी सुविधाएँ भक्तों द्वारा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं।
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2022 من Jyotish Sagar.
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।