प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने ऐलान कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 370 सीटें मिलेंगी और एनडीए 400 पार करेगा। कितना पार, यह नहीं बताया। सो, हम मान लें कि एनडीए को 401 सीटें तो मिलेंगी ही। तो क्या एनडीए में भाजपा के 37 सहयोगी दलों को कुल मिला कर 31 लोकसभा सदस्यों की संख्या पर ही अपने मन मसोसने पड़ेंगे? नहीं, संसद में सीना ठोंक कर यह ऐलान करते वक्त नरेंद्र मोदी का मतलब यह कतई नहीं रहा होगा। सहयोगी दलों के अभी 46 सदस्य हैं। उनके अलावा 3 निर्दलीय भी एनडीए में हैं। तो नरेंद्र भाई यह तो चाहते ही होंगे कि इस बार भी कम-से-कम ये 49 सीटें तो उनके सहयोगी जीतें ही।
इस हिसाब से तो एनडीए 419 सीटें जीत कर आएगी। अभी चूंकि एनडीए में शामिल 22 राजनीतिक दलों का एक भी सदस्य लोकसभा में नहीं है, इसलिए उसकी 339 सीटें ही हैं। अब अगर नरेंद्र भाई की इस ख्वाहिश ने भी जोर मारा कि इन 22 सहयोगियों की भी एक-एक सीट तो अगली बार जरूर आ जाए तो समझ लीजिए कि एनडीए को मई में 441 सीटें मिलने वाली हैं। 370 सीटें तो नरेंद्र भाई भाजपा की झोली में डाल ही चुके हैं, सो, सहयोगियों के भाग्य में 71 सीटों का छींका उन्होंने टूटने के लिए छोड़ दिया है।
हालांकि अभी लोकसभा में भाजपा के 290 सदस्य हैं, लेकिन पिछले चुनावों में वह 303 सीटें जीती थी। तो आज के हिसाब से 370 सीटें जीतने के लिए नरेंद्र भाई को 80 अतिरिक्त सीटों का इंतजाम करना होगा और पिछली बार के हिसाब से 67 का। मैं नरेंद्र भाई की इस बलवती इच्छा का समर्थन करूंन-करूं, उनकी इस पुरजोर ख्वाहिश का सम्मान जरूर करता हूं, इसलिए मुझे पिछले कई दिनों से यह चिंता खाए जा रही है कि आखिर नरेंद्र भाई को ये 67 या 80 अतिरिक्त सीटें मिलने कहां से वाली हैं?
मप्र की 29 में से 28 सीटें हैं भाजपा के पास
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