يحاول ذهب - حر
जिंदगी से बदहाल गुदड़ी के लाल
January 08, 2024
|Outlook Hindi
कासगंज और बुलंदशहर के रहने वाले मजदूर मानते हैं कि मीडिया की पूछ बंद हो जाए तो जिंदगी गड्ढे में ही कटनी है।
उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग से 28 दिसंबर को 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लाने वाली बारह लोगों की टीम के छह सदस्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इनमें पांच बुलंदशहर के हैं और एक कासगंज का है। सभी एक दूसरे को जानते हैं क्योंकि ये सभी कई साल से रॉ कंपनी के लिए काम कर रहे हैं, जिसे दिल्ली के वकील हसन और मुन्ना कुरैशी पार्टनरशिप में चलाते हैं। दिलचस्प है कि घटना के समय से ही रैटहोल माइनर बताए जा रहे इन मजदूरों ने जिंदगी में खुद पहली बार यह नाम सुना है, वरना ये अपने को जैक पुशिंग करने वाला ही बताते रहे हैं। इन्हें ज्यादातर पानी, सीवर और गैस की लाइनें डालने का अनुभव है।
कासगंज के नसीरुद्दीन कहते हैं, “ये आप लोगों का ही दिया हुआ नाम है, हालांकि हमारे काम करने का तरीका तो चूहे जैसा ही है।"
विडंबना है कि ये मजदूर जैसा काम करते हैं, वैसी ही जिंदगी भी जीते हैं- विकास की चमचम रोशनी से दूर गांवों के आदिम अंधेरे में अपने परिवारों को छोड़ कर शहरों की तलछट में रोज गड्ढे खोदना और उससे मिलने वाली चार-पांच सौ की दिहाड़ी में बीवी-बच्चे पालना।
चुनौती का बुलावा
बुलंदशहर के अख्तियारपुर निवासी तीन भाई मोनू, अंकुर और देविंदर के साथ उनके पड़ोसी सौरभ और जतिन उत्तरकाशी हादसे के ठीक पहले दिल्ली के मुकुंदपुर में सीवर का काम कर दिवाली में गांव लौटे थे। उसी तरह नसीरुद्दीन भी दिल्ली के बेगमपुर में काम निपटा कर बदायूं के नानाकेरा में अपने परिवार के साथ थे।
नसीरुद्दीन का गांव कासगंज के मड़ावली में पड़ता है, लेकिन वे बीवी-बच्चों के साथ तीन साल से बदायूं में रिश्तेदारी में रह रहे हैं। वे बताते हैं, “जब से मैंने होश संभाला, मेरे गांव में तब से ही कोई सरकारी स्कूल नहीं है। अब प्राइवेट स्कूल में तो बच्चों को पढ़ा नहीं सकते, उतने पैसे ही नहीं हैं। इसीलिए मैं बच्चों को लेकर बदायूं आ गया।"
कासगंज में नसीरुद्दीन की तीन साढ़े तीन बीघा खेती है। उनके पिता खेतीबाड़ी का काम देखते हैं, लेकिन गंगा किनारे पड़ने के कारण ज्यादा पानी आ जाता है तो खेती बहुत कारगर नहीं होती। इसी चक्कर में उन्हें दिल्ली जाकर चार से पांच महीने काम करना पड़ता है।
هذه القصة من طبعة January 08, 2024 من Outlook Hindi.
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