अंतरिक्ष का हिसाब अन्नपूर्णी के पास
अन्नपूर्णी सुब्रह्मण्यम, 55 वर्ष
निदेशक, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान
अनपूर्णी सुब्रह्मण्यम जब छोटी थीं, तो गर्मी से बचने के लिए रोज सुबह सूर्योदय से कुछ घंटे पहले ही पढ़ने बैठ जाती थीं. तब उन्हें रात को सितारों भरे आकाश के बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई. उनके मुताबिक, “मैं रोज तड़के आकाशगंगा निहारती थी. लेकिन यह नहीं पता था कि आखिर यह है क्या...हर सुबह आकाश के एक ही हिस्से में बादलों जैसा एक टुकड़ा नजर आए. यह संभव नहीं है, है ना? तो, मुझे यह तो समझ आ गया कि यह वायुमंडलीय भी नहीं है, लेकिन कोई ऐसा नहीं था जिससे मैं इस पर चर्चा कर पाती."
केरल के पलक्कड़ की रहने वाली सुब्रह्मण्यम फिजिक्स में मास्टर डिग्री के बाद शोध में करियर बनाना चाहती थीं और उनका इरादा स्पष्ट था कि 'आकाश से संबंधित कुछ भी करना है. इसी जुनून ने उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आइआइएससी) तक पहुंचाया. यहीं उन्होंने आइआइएससी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए), इसरो और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की तरफ से खगोल विज्ञान में कराए जाने वाले एक प्रोग्राम को चुना. इसके बाद, 1990 में आइआइए ने उन्हें रिसर्च फेलो के तौर पर एक पद की पेशकश की और करीब तीन दशक बाद 2019 में सुब्रह्मण्यम उसी आइआइए की प्रमुख के तौर पर जिम्मेदारी संभालने वाली पहली महिला बनीं संस्थान थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) प्रोजेक्ट के लिए भारत का समन्वय केंद्र है, जो कैलटेक और कैलिफोर्निया, कनाडा, जापान, चीन और भारत के विश्वविद्यालयों के बीच वैश्विक साझेदारी है.
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