राजस्थान
अब सवाल यही है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राज्य में अपना सफर पूरा करने के बाद क्या इस महीने के आखिर कुछ और आतिशबाजी देखने को मिलेगी, जब पार्टी सत्ता में अपने चार साल पूरे होने का जश्न मनाएगी ? शायद इन्हीं अंदेशों से बचने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 5 दिसंबर को पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया. उन्हें अजय माकन की जगह यह जिम्मेदारी सौंपी गई, जिन्होंने पिछले महीने इस्तीफे की पेशकश की थी. रंधावा ने 6 दिसंबर को काम संभालने के बाद मीडिया से कहा, "राजस्थान में हालात पंजाब की तरह हैं. पंजाब में हमें अंतर्कलह की वजह से ही हार का सामना करना पड़ा."
माकन चाहते थे कि आलाकमान राजस्थान के उन तीन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करे, जिन पर उन्होंने 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने के लिए पार्टी विधायकों को उकसाने का आरोप लगाया था जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाने के बारे में चर्चा चल रही थी. उस वक्त 92 विधायक, जो सभी मुख्यमंत्री गहलोत के वफादार थे, मंत्री शांति कुमार धारीवाल के आवास पर थे और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्थिति में इस्तीफा देने की धमकी दे रहे थे. माकन का इस्तीफा स्वीकार करने से साफ हो गया कि पार्टी गहलोत से भिड़ंत के मूड में नहीं है.
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