साल 2021 की बात है. कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान 23 वर्षीया अन्यया लोहानी को संग-साथ और भावनात्मक सहारे की जरूरत महसूस हुई. पुणे की इस रिसर्च इंटर्न ने डेटिंग ऐप इस्तेमाल करने का फैसला किया. मनमाफिक मैच खोजने में उन्हें दो हफ्ते लगे. अगले दो महीने दोनों ने रोज बातें कीं, वर्चुअल डेट पर गए और एक-दूसरे को बताया कि वे कैसी जिंदगी, कैसे सपने चाहते थे. 2022 में लोहानी अपने ऑनलाइन बॉयफ्रेंड से रू-ब-रू मिलने को तैयार थीं. मगर वह टालमटोल करता रहा. लोहानी कहती हैं, "हम डेट तय करते और आखिरी वक्त कैंसल कर देते. दो हफ्ते यही होता रहा. मैं आजिज आ गई. मैंने कह दिया कि मुझे तुम्हारे साथ कोई भविष्य नहीं दिखता."
मगर फैसला मानने के बजाय उनका ऑनलाइन प्रेमी पीछे ही पड़ गया. वे बताती हैं, "मुझे अपना नंबर, ईमेल आइडी और सोशल मीडिया अकाउंट बदलने पड़े, क्योंकि वह लगातार मेसेज करता. ज्यादातर माफी मांगता, पर कभी-कभी पीकर गुस्से में अनाप-शनाप भी बोलता, यहां तक कि धमकियां देता." इस तजुर्बे से वे इतना डर गईं कि ई-डेटिंग से ही तौबा कर ली. वे याद करती हैं, "डरावनी बात यह थी कि जिस पर आपने भरोसा किया, उसका ऐसा पहलू भी हो सकता था."
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