राजनीति की पदयात्रा
DASTAKTIMES|November 2022
पार्टी को भले ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में मिल गया है, लेकिन वे आलाकमान के आदेश के बिना एक भी कदम उठा पाएंगे, ऐसा तो नहीं लगता है। फिर भी एक उम्मीद जगी है। पदयात्रा कर रहे राहुल ने उनके काम में हस्तक्षेप नहीं करने की बात कही है।
दिलीप कुमार
राजनीति की पदयात्रा

जकल देश में पदयात्राओं की राजनीति चल रही है। इसके सहारे कोई अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करना चाहता है तो कोई जनता के बीच अपनी शाख बनाने के लिए बात हो रही है राहुल गांधी और प्रशांत किशोर की। राहुल पूरे देश की यात्रा पर निकले हैं। वे देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेता हैं। उनकी पार्टी इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी को भले ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में मिल गया है, लेकिन वे आलाकमान के आदेश के बिना एक भी कदम उठा पाएंगे, ऐसा तो नहीं लगता है। फिर भी एक उम्मीद जगी है। पदयात्रा कर रहे राहुल ने उनके काम में हस्तक्षेप नहीं करने की बात कही है। वैसे कुछ भी हो, राहुल अपनी पदयात्रा के जरिए लोगों से जुड़ रहे हैं, जमीनी स्थिति देख रहे हैं। निश्चित ही इससे उनके व्यक्तित्व का विकास होगा।

अब हम बात दूसरी यात्रा की करते हैं, जो बिहार में चल रही है। इसे चला रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर। अभी वे नेता नहीं हैं, बनने की राह पर हैं। भले ही कई पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बना जीत दिला चुके हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए रणनीति बनाना और राजनीति करने में बहुत ही अंतर है। खुद की पार्टी बनाने के लिए बिहार की जनता की नब्ज टटोलने के लिए गांव-गांव घूम रहे हैं। लोगों को जागरूक कर रहे हैं। पूरे एक साल वे इसी तरह पदयात्रा पर रहेंगे। इसके बाद पार्टी बनाकर चुनाव में उतरेंगे। बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होंगे। इससे पहले 2024 में लोकसभा का चुनाव है।

बापू की कर्मभूमि से बड़ा संदेश

प्रशांत किशोर ने दो अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर पश्चिम चंपारण की उस धरती से जनसुराज पदयात्रा की शुरुआत की, जहां चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के दौरान गांधीजी पहंचे थे। वहां भितिहरवा आश्रम की स्थापना की थी। उसी आश्रम से शुरू उनकी यात्रा जारी है। करीब 15 महीने तक वे 3500 किलोमीटर इसी तरह यात्रा करेंगे। वे हर गांव में जा रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। उनकी समस्याएं सुन रहे हैं। लोगों को बता रहे हैं कि उनका अधिकार क्या है?

هذه القصة مأخوذة من طبعة November 2022 من DASTAKTIMES.

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उनका हर किरदार है अभिनय की पाठशाला
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उनका हर किरदार है अभिनय की पाठशाला

कभी खलनायक तो कभी पुजारी और चर्चित सीरियल 'ऑफिस-ऑफिस' में मुसद्दीलाल न पर्दे पर छाए पंकज कपूर के सभी किरदार अभिनय की पाठशाला हैं। हिन्दी सिनेमा में बहुत कम कलाकार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने किरदारों से अभिनय को परिभाषित किया है। उनके किरदारों की पहचान उनके नाम से आगे चलती है।

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May 2024
भारत की पहली 'हाइब्रिड पिच' बनेगी धर्मशाला
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भारत की पहली 'हाइब्रिड पिच' बनेगी धर्मशाला

हाइब्रिड पिच में मैदान के अंदर की कुदरती टर्फ यानी मैदान की घास के साथ कुछ फीसदी हिस्सा पोलिमर फाइबर का होता है। इससे पिच टिकाऊ रहती है और इस पर एक जैसा उछाल भी मिलता है। इसमें पोलिमर फाइबर का इस्तेमाल पांच फीसदी ही होता है जिससे पिच के नेचुरल गुण बने रहें। यह आमतौर पर बेज या हरे रंग के होते हैं, इन्हें 20-20 मिमी ग्रेड के नियमित पैटर्नमें 90 मिमी की गहराई तक सिला जाता है।

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May 2024
आईपीएल यानि क्रिकेटेनमेंट
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आईपीएल यानि क्रिकेटेनमेंट

फटाफट क्रिकेट आईपीएल में ये पूरी तरह क्रिकेटेनमेंट बन जाता है। बॉलीवुड सितारों की चमक-दमक के साथ तीन घंटे का रोमांच। इस दौरान यह खेल नाटक में तब्दील हो जाता है। एक नया मार्केट प्लेस जिसे 'क्रिकेटेनमेंट' के नाम से जाना जाता है। यहां क्रिकेट बिल्कुल अलग तरीके से खेला जाता है। मजे लेने का अंदाज भी जुदा है। स्टेडियम में बड़ा रंगीन माहौल होता है। हर चौके, छक्के और विकेट पर चीयर लीडर्स डांस करती हैं।

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May 2024
सिविल अधिकारियों की चुनौतियों पर बेबाक चर्चा होनी चाहिए!
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सिविल अधिकारियों की चुनौतियों पर बेबाक चर्चा होनी चाहिए!

सदनों की समिति के भीतर जनप्रतिनिधियों द्वारा पूछे गए उत्तर अधिकारियों को नागवार लगते हैं। निर्वाचित सरकार द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों को पूरा करना सिविल अधिकारियों की जिम्मेदारी है। विकास कार्यों को ठीक से सम्पन्न कराना भी इन्हीं की जिम्मेदारी है। लेकिन तमाम राज्यों में भिन्न-भिन्न विभागों के लिए निर्धारित बजट का बड़ा भाग उपयोग में ही नहीं आता।

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May 2024
माँ का रिश्ता सबसे अनमोल
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अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस (12 मई) पर विशेष

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May 2024
दुनिया की 'कैंसर राजधानी' बनता भारत
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महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और डिम्बग्रंथि कैंसर हैं, जबकि पुरुषों में आमतौर पर पाये जाने वाले कैंसर में फेफड़े, मुंह और प्रोस्टेट आदि जैसे कैंसर शामिल हैं। वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में सबसे अधिक महिलाओं में कैंसर का निदान किया जाता है। हालांकि भारत में सालाना दस लाख से अधिक नए मामले सामने आते हैं, यहां कैंसर की दर डेनमार्क, आयरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों या अमेरिका से कम है।

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May 2024
छद्म की जगह खुला युद्ध क्यों चुन रहा ईरान!
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छद्म की जगह खुला युद्ध क्यों चुन रहा ईरान!

नेताओं ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति इजराइल का यह डर, पूर्व में ईरानी द्वारा खुले तौर पर इजराइल के विनाश की वकालत करने से सच साबित होता है। उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2005 में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदी ने खुले रूप से घोषणा किया कि इजराइल को 'मानचित्र से मिटा दिया जाना चाहिए।' इस उत्तेजक बयानबाजी ने इजराइली चिंताओं को बढ़ाया है जो ईरान की परमाणु महत्त्वाकांक्षाओं से उत्पन्न कथित खतरे को रेखांकित करता है।

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May 2024
क्या चीन की गोद में खेल रहे सोनम वांगचुक?
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क्या चीन की गोद में खेल रहे सोनम वांगचुक?

सोनम वांगचुक को जिस मूवी थ्री इडियट्स ने हीरो बनाया, वह मूवी उनकी असली जिंदगी से एक प्रतिशत भी वास्ता नहीं रखती, यह बात खुद सोनम वांगचुक ने दर्जनों बार मीडिया में कबूली है। मूवी में जिस वैज्ञानिक फुन्सुक (सोनम वांगचुक से प्रेरित चरित्र) का किरदार आमिर खान ने निभाया है, वह माली का बेटा है, जबकि सोनम वांगचुक मंत्री के बेटे हैं। उनके पिता सोनम वांग्याल कांग्रेस नेता थे, जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री बने।

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May 2024
बाड़मेर में राष्ट्रीय दलों के खिलाफ युवा जनसैलाब
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बाड़मेर में राष्ट्रीय दलों के खिलाफ युवा जनसैलाब

रवीन्द्र सिंह भाटी को टिकट न देकर बीजेपी ने अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं। अब कांग्रेस को जीत की किरण दिख रही है, लेकिन सर्वे कुछ और बयां कर रहे है। 2024 में राजस्थान की बाड़मेरजैसलमेर सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। शिव विधानसभा सीट से विधायक बनने वाले रवीन्द्र सिंह भाटी ने निर्दलीय पर्चा भरा है। उनके चुनावी मैदान में उतरने से बाड़मेर के समीकरण रोचक हो गए हैं।

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May 2024
नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग
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नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग

प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव में 19 अप्रैल को बस्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से वोट पड़े और मतदान प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है। बस्तर में जहां पहले नक्सली चुनाव के दौरान भय पैदा करने के लिए धमाके करते थे, गांव में बैठक कर लोगों को डराते थे, मगर नक्सलियों का अब यह डर लोगों के दिमाग से निकल चुका है। यह कहा जा सकता है कि बैलेट पेपर अब बारूद पर भारी पड़ रहा है।

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May 2024