दुकानदार एक के बाद एक साड़ियां खोलखोल कर दिखा रहा था पर वैशाली की नजर लाल साड़ी पर अटक गई थी. लाल रंग की जमीन पर सुनहरी जरी से बेलबूटे का काम हो रखा था. कपड़ा इतना हलका जैसे कुछ पहना ही न हो. तभी छोटी बेटी कायरा बोली, "अरे भैया, यह क्या डार्क कलर दिखा रहे हो, मम्मी की शादी की गोल्डन जुबली है. कुछ सोबर और एलिगेंट दिखाएं."
बहू माही बोली, "मम्मी को तो ग्रे, क्रीम शेड बेहद पसंद हैं. ऐसा ही कुछ दिखाएं."
वैशाली बोलना चाहती थी कि वह अपने सारे शौक इस वर्षगांठ पर पूरे करना चाहती है. तब वैशाली और पराग की 50 साल पहले शादी हुई थी तब तो उन के पास न इतने पैसे थे और न ही इतनी सुविधा थी. वैशाली ने शादी में चटक रानी रंग का आर्टिफिशियल सिल्क का लहंगा पहना था. उस लहंगे का रंग और काम उसे बिलकुल नहीं सुहाया था. एक लोकल से पार्लर ने उस का मेकअप किया था जिस कारण उस की ठीकठाक शक्ल भी हास्यपद लग रही थी.
आज जब वैशाली किसी की शादी देखती तो उस के मन के सोए अरमान जाग जाते थे. तब वैशाली 70 वर्ष की नहीं बस 20 वर्ष की तरह ही सोचने लगती थी. दोनों बच्चों की शादी में वैशाली की इतनी भागमभाग रही कि वह ठीक से तैयार भी नहीं हो पाई थी.
10 दिन बाद वैशाली और पराग की गोल्डन जुबली है. दोनों बच्चे अब अच्छे से सैटल हैं और यह बच्चों का ही आइडिया था कि गोल्डन जुबली को धूमधाम से मनाया जाए. यह सुनते ही वैशाली के अंदर दबी इच्छाओं को मानो पंख लग गए हों. हर बार उस की इच्छाओं के पंख उम्र के तले दबा दिए जाते थे.
वैशाली के सामने दुकानदार ने क्रीम, वाइट, ग्रे, पीच रंग की साड़ियों का अंबार लगा दिया था पर वैशाली को तो एक भी साड़ी जंच नहीं रही थी. उस का पूरा मूड चौपट हो गया था. न जाने क्यों माही और कायरा बरबस उसे उस की उम्र का एहसास दिलाने पर तुली हुई हैं. हां वे हैं 70 वर्ष की पर इस दिल का क्या करें जो फिर से एक 20 वर्ष की दुलहन की तरह सजना चाहता है.
दुकान से बाहर निकलते हुए वैशाली के कानों में बेटी कायरा के शब्द पड़ गए थे, " मम्मी को तो न जाने क्या चाहिए, अरे इस उम्र में कौन इतना चूजी होता है.
मेरी सास भी इस उम्र में बालों की रिबौंडिंग, फैशन कलर और न जाने क्याक्या करवाती रहती हैं.
तभी माही की आवाज आई, "शुड ऐज ग्रेसफुल्ली.”
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