يحاول ذهب - حر
एमएसपी गारंटी कानून : किसानों के लिए सुरक्षा कवच या आर्थिक विनाश ?
15th March 2025
|Modern Kheti - Hindi
अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और साहूकारों की कंपनियों से वित्त पोषित अर्थशास्त्री और सरकारी पैरोकार एमएसपी गारंटी कानून को आर्थिक तौर पर विनाशकारी और असंभव बताकर देश में जान-बूझ कर भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी गारंटी कानून लागू करने पर सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये वार्षिक से ज्यादा खर्च करने होंगे, क्योंकि तब सरकार एमएसपी वाली 24 फसलों के कुल उत्पादन को खरीदने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हो जाएगी।
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इन किसान-विरोधी नीतिकारों को समझना चाहिए कि एमएसपी गारंटी कानून का अभिप्राय सरकार द्वारा पूरी कृषि उपज खरीदना नहीं है, बल्कि मंडियों में एमएसपी से कम पर होने वाली फसल बिक्री को रोकना है।
सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने से कृषि आय को बढ़ावा मिलेगा, उपभोग मांग बढ़ेगी और फसल विविधीकरण में सहायक होगा। यह देश में टिकाऊ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसानों को बिचौलियों एवं साहूकारों के शोषण से बचाने के लिए सुरक्षा कवच साबित होगा।
देश में प्रचलित कपास की सरकारी खरीद के व्यावहारिक मॉडल के आधार पर, सरकार मंडी में एमएसपी से कम दाम होने पर ही खरीद करेगी, जो वार्षिक कुल कृषि उत्पादन का एक प्रतिशत से भी कम रहेगा। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के अनुसार, सरकार के लिए ऐसी गारंटी की "वास्तविक लागत" कृषि विपणन वर्ष 2023 में लगभग 21,000 करोड़ रुपये थी।
यह वर्ष 2025 में घोषित एमएसपी पर 30,000 करोड़ रुपये से कम ही रहेगी, जिसके लिए सरकार को लगभग 6 लाख करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होगी। लेकिन सरकार के लिए वास्तविक लागत एमएसपी और मंडी कीमतों के बीच का अंतर होगी, जो वित्तीय वर्ष 2023 के लिए मात्र 21,000 करोड़ रुपये बनती है।
هذه القصة من طبعة 15th March 2025 من Modern Kheti - Hindi.
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