يحاول ذهب - حر
किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता
1st June 2023
|Modern Kheti - Hindi
प्राकृतिक खेती - उत्तरप्रदेश
परिचय : बढ़ती आबादी को खिलाने के लिए, यह अनुमान लगाया गया है, कि 2050 तक खाद्य उत्पादन में 60% की वृद्धि की आवश्यकता होगी। यह बढ़ती खाद्य मांग दुनिया भर में किसानों को फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो पर्यावरण पर दबाव बनाता है प्राकृतिक खेती का सुझाव पारंपरिक और आधुनिक कृषि पद्धतियों दोनों में सुधार के लिए एक नवीन दृष्टिकोण के रूप में दिया गया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और समुदायों की रक्षा करना है। इसमें भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता किए बिना खाद्य उत्पादन को सक्षम करने की क्षमता है। प्राकृतिक खेती कई अन्य लाभों, जैसे कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की बहाली, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का शमन या निम्नीकरण, प्रदान करते हुए किसानों की आय बढ़ाने का मजबूत आधार प्रदान करती है। प्राकृतिक खेती प्राकृतिक या पारिस्थितिक प्रक्रियाओं, जो खेतों में या उसके आसपास मौजूद होती हैं, पर आधारित होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, प्राकृतिक खेती को पुनर्योजी खेती-जो ग्रह को बचाने के लिए एक प्रमुख कार्यनीति है- का एक रूप माना जाता है। इसमें भूमि परिपाटियों तथा मृदा और पौधों में वातावरण से कार्बन, जहां यह हानिकारक होने के बजाये वास्तव में उपयोगी है, को अलग करने का प्रबंधन करने की क्षमता है। प्राकृतिक खेती के भारत में कई स्वदेशी रूप हैं, इनमें से लोकप्रिय सबसे आंध्रप्रदेश में की जाती है। यह प्रथा, अन्य रूपों में, अन्य राज्यों, विशेष रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में भी अपनाई गई है। इसे भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के रूप में केन्द्र प्रायोजित योजना परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अंतर्गत बढ़ावा दिया जाता है। बीपीकेपी का उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देना है- जो बड़े पैमाने पर ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग पर आधारित हैं, जिसमें मल्चिंग और गाय के गोबर के उपयोग और मूत्र के मिश्रण तैयार करने पर जोर दिया गया है। इसमें किसी भी सिंथेटिक रासायनिक आदानों का उपयोग नहीं किया जाता है। वर्तमान में, बीपीकेपी को आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु सहित देश के आठ राज्यों द्वारा अपनाया जाता है।
هذه القصة من طبعة 1st June 2023 من Modern Kheti - Hindi.
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