يحاول ذهب - حر
मृदा की उर्वरा शक्ति और फसलों की उत्पादकता पर जैव उर्वरकों का प्रभाव
1st February 2023
|Modern Kheti - Hindi
हरियाण- जैव उर्वरक
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जैव उर्वरक ऐसे उत्पाद हैं जिनमें मिट्टी की उर्वरता और पौधे के विकास के लिए आवश्यक सूक्ष्म जीव होते है। जैव उर्वरक (बायो फर्टिलाइजर) को जीवाणु खाद भी कहा जाता है क्योंकि यह एक जीवित उर्वरक है, जिसमें सूक्ष्मजीव विद्यमान होते हैं। फसलों में जैव उर्वरक के उपयोग करने से वायुमण्डल में पाई जाने वाली नाइट्रोजन, पौधों को अमोनिया के रूप में आसानी से उपलब्ध होती है और मिट्टी में पाए जाने वाले अघुलनशील फास्फोरस व अन्य पोषक तत्व घुलनशील अवस्था में परिवर्तित होकर फसलों को आसानी से उपलब्ध होते हैं। जीवाणु प्राकृतिक है और इनके उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है तथा इसके इस्तेमाल से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरकों के पूरक हैं लेकिन वे उन्हें पूरी तरह से प्रति स्थापित करने में सक्षम नहीं है। जैव उर्वरकों के परिणामस्वरूप फसल उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है। रासायनिक खाद के लगातार व असंतुलित प्रयोग से कृषि भूमि और वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे मिट्टी में जीवांश की मात्रा घट जाती है और हमारी मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घटती है। इनके लगातार इस्तेमाल से जलाशयों और जमीन का पानी भी दूषित होता है। जैव उर्वरक के प्रयोग से काफी हद तक इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है। पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए तथा रासायनिक खादों के प्रभाव को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रकृतिप्रदत जीवाणुओं को पहचान कर उनसे विभिन्न प्रकार के पर्यावरण हितैषी जैव उर्वरक तैयार किए है।
هذه القصة من طبعة 1st February 2023 من Modern Kheti - Hindi.
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