Nirogdham Magazine - Summer 2018Add to Favorites

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Nirogdham - Summer 2018

Nirogdham Magazine Description:

PublisherNirogdham

CategoryHealth

LanguageHindi

FrequencyQuarterly

सन 1979 जब निरोगधाम पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया था तब में अखिल भारतीय स्तर पर कोई कोई भी स्वस्थ्य पत्रिका प्रकाशित नहीं हिती थी | देशवासियों में स्वस्थ्य के प्रति रूचि और जागरूकता नहीं थी और न ही स्वस्थ्य के विषय में जानकारी क्योकि स्कूल और कॉलेज में स्वस्थ्य एवं शरीर-विज्ञान विषय पढ़ने की वयवस्था नहीं थी, अभी भी नहीं है | देशवासियों को शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक स्वस्थ्य और उचित आहार – विहार की प्रति एवं चेतना उत्पन्न करने के उद्देश्य से एस पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया था | यह एक साहसिक कदम था जो हमने ईश्वर के प्रति भरोसे और बलबूते पर उठाया था इसिलिय शुरू के 5 – 6 वर्ष अत्यंत कठिन संघर्ष के रहे पर ईश्वर की कृपा से हमारा परिश्रम सफल हुआ और आज यह पत्रिका देश के कोने कोने तक ही नहीं बल्कि विदेशो में भी पहुच रही है | यूं तो निरोगधाम की सफलता और लोकप्रियता से प्रभावित हो कर गत 2-3 वर्षो से कई प्रकाशन स्वास्थ्य पत्रिकाएँ प्रकाशित करने लगे हैं पर इससे निरोगधाम की प्रसार संख्या और लोकप्रियता में कोई फर्क नहीं पड़ा है | इसका मुख्य कारण है एस पत्रिका की सेवाभावी निति, श्रेष्ठ एवं लाभप्रद पाठ्य सामग्री, पाठको के प्रति निष्ठा और ग्लैमर से भरे एस ज़माने में रंगीन तड़क-भड़क से रहित सादगीपूर्ण ढंग से प्प्रमादित जानकारी की प्रस्तुति |

यह एक ऐसी स्वास्थ्य पत्रिका है जो एक स्वस्थ्य रक्षक और मार्गदर्शक की तरह, विभिन्न पहलुओं से कई तरह की स्वास्थ्य-सम्बन्धी जानकारियां देकर स्वाश्थ्य की रक्षा करने, रोगों से बचने और रोग हो जाए तो उससे निर्वित होने के उपाय बताती है | यह एक ऐसी हितैषी मित्र की तरह है जो सदैव अपने हित की ही बात करती है, आपके हित के उपाय बताती है और आपके आनंद – मंगल की कामना करती है | यह बात याद रखने योग्य है की स्वाश्थ्य रहने के लिए सिर्फ सरीर का ही बलवान होना काफी नहीं होता बल्कि मान और आत्मा का भी मल, विक्षेप तथा आवरण से रहित होकर पवित्र और निर्विकार होना जरुरी होता है | अतः यह पत्रिका सिर्फ शरीर के विषय में ही नही, मन और आत्मा के विषय में भी चर्चा करती है क्योकि मन से स्वास्थ्य, निर्विकार ऑफ़ पवित्र रहने पर ही हमारा शारीर स्वास्थ्य और निरोग रह सकता है | यही वजह है की निरोगधाम में सिर्फ जड़ी बूटियों, नुस्खो और कायचिकित्सा का विवरण ही नहीं बल्कि मन, आत्मा इंद्रियों, बुद्धि, विवेक, निति अदि से सम्बंधित गूढ़ विषयों पर भी सरल भाषा और रोचक शैली में काफी सामग्री प्रस्तुत की जाती है |

पत्रिका के प्रायः हर पृष्ट पर कोष्ठक (बॉक्स) में जो विचार शुत्र दिए जाते हैं वे भुत सारगर्भित, संक्षिप्त और सरल भाषा में गहरी बात प्रस्तुत करने वाले होते हैं जुन्हे पढ़ कर आप अच्छे विचार करने की प्रेरणा और सामग्री प्राप्त क्र सकते हैं ताकि अपकर विचारशीलता, बौद्धिकता और जानकारी बढ़ सके | एन विचार शुत्रों को आप बार -बार पढ़े, इन पर मनन करें तो आपकी चिंतनशक्ति बढ़ेगी, बुद्धि तीव्र होगी और आपके सामान्य ज्ञान का विकास होगा जिससे आप दैनिक जीवन में आहार – विहार, आचार-विचार, कार्य एवं कार्यक्रमों के के बारे में उचित निर्णय ले सकेंगे जो की सफल सुखी और स्वस्थ्य जीवन जीने में सहायक सिद्ध होगा | इलाज करने की अपेक्षा बीमारी से बचाव करना अच्छा होता है कि क्योकि आजकल दवा इलाज करना भुत महगा हो गया है |

आपके और आपके परिवार के सभी सदस्यों के मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्यायों के लिए सदभावना और निष्ठा के साथ उचित विवरण प्रस्तुत करने की भरपूर कोशिश यह पत्रिका करती रहती है | एस उद्देश्य की पूर्ति के लिए, कई स्थायी स्तंभों के माध्यम से कई प्रकार की हितकारी व् उपयोगी बातें सरल, सुबोध और रोचक शैली में यह पत्रिका आपसे कहती है | आप इससे ध्यान पूर्वक पढ़ें, इसका मनन करें और उपयोगी ज्ञान को यथाशक्ति ग्रहण कर अमल में लें तो सहायक जानकारी आपकी सेवा में प्रश्तुत करना एस पत्रिका की निति है और इसको प्रकाशित करने का उद्देश्य भी है जैसे कि शास्त्र का कहना है

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