India Today Hindi Magazine - January 04, 2023Add to Favorites

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In this issue

Highlights of India Today Hindi 4th January 2023, issue: Special Issue
Bharat Ki Shaan
A celebration of the very many things our country has got right in its independent existence and the many famous Indians who made our lives happier, healthier, more prosperous and just plain better along the way. From culture to agriculture, dams to Bollywood blockbusters, victories on the battlefield to the Olympic podium and much, much more. Here are some reasons to be cheerful about the past 75 years—and the years ahead.
Political Movements: Loktantra Ki Taqat
Moments of collective action—and sometimes individual courage—that changed the political landscape for the better.
Economic policies: Kayakalp Ke Karak
India’s journey from penury to prosperity has been a roller-coaster ride. These momentous decisions steered it past troughs and upheavals and helped to create a modern, global powerhouse.
Business Persons: Karobari Samrajyon Ke Samrat
Pushing India’s industrial growth needed visionaries with exceptional entrepreneurial zeal. Here are Top 10 pioneers who immensely contributed to the country’s wealth creation.
Infrastructure Projects: Vishalkay, Majboot Aur Takatwar
Ten mega public infrastructure projects that have had a profound impact on post-Independence India’s overall development.
Decisive Battles: Sahas aur Gaurav Ke Nirnayak Pal
Two months after Independence, the Indian military was engaged in the first of the many wars and conflicts it would fight to safeguard the country’s national security. I have looked at battles that were won and contributed significantly to influencing the post-war geostrategic landscape and the shaping of India’s frontiers. The emphasis on India’s frontiers is essential, as most of the wars have been a result of disputed borders. Some notable omissions could strike readers. The 1962 war was not considered because the focus was on battles that India won. The Haji Pir battle of the 1965 war was a strong contender, but missed out as the territory gained was returned after the war.
Hindi Movies: Bollywood-Ye Un Dino ki baat hai
So many films by the same filmmaker are personal favourites that it was an agonising task choosing between them. Mother India or Andaz? Pyaasa, Sahib Bibi..or Mr. & Mrs. 55? Awaara or Shree 420? Devdas or Do Bigha Zamin? Selecting 10 films from a period of 75 years is inherently impossible. But here’s a list, in alphabetical order, of landmark movies that have deeply impacted popular Hindi cinema.


लोकतंत्र की ताकत

वे मोड़ जब जनभावना - और कभी-कभी एक व्यक्ति के उत्साहकी शक्ति ने राष्ट्र की प्रगति के पथ को बदल दिया

लोकतंत्र की ताकत

4 mins

कायाकल्प के कारक

भारत का कंगाली से खुशहाली का सफर बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इन बेहद अहम फैसलों ने इसे गर्त और अतीत की उथल-पुथल के बीच रास्ता दिखाया और आधुनिक वैश्विक शक्ति केंद्र बनने में मदद की

कायाकल्प के कारक

7 mins

कारोबारी साम्राज्यों के सम्राट

भारत के औद्योगिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए असाधारण कारोबारी उत्साह वाले और दूरदर्शी लोगों की जरूरत थी. पेश है टॉप 10 उद्योगपति जिन्होंने देश के धन सृजन में जबरदस्त योगदान दिया है

कारोबारी साम्राज्यों के सम्राट

7 mins

विशालकाय, मजबूत और ताकतवर

आजाद भारत के कुल विकास में पुख्ता असर वाली दस सरकारी परियोजनाएं

विशालकाय, मजबूत और ताकतवर

5 mins

साहस और गौरव के निर्णायक पल

भारतीय सेना आजादी के दो महीने बाद ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लड़े गए कई युद्धों और संघर्षों में से पहली जंग लड़ रही थी. मैंने उन लड़ाइयों पर नजर डाली है जो जीती गईं और जिन्होंने जंग के बाद भू-रणनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया तथा भारत की सरहदों को आकार देने में अहम योगदान दिया. भारत की सरहदों पर जोर देना जरूरी है क्योंकि अधिकतर युद्ध विवादित सीमाओं की वजह से ही हुए हैं. कुछ महत्वपूर्ण लड़ाइयों का उल्लेख न होने से पाठकों को झटका लग सकता है. 1962 की जंग पर विचार नहीं किया गया क्योंकि फोकस उन लड़ाइयों पर था जिन्हें भारत ने जीता. 1965 की हाजी पीर की जंग भी प्रबल दावेदार थी, लेकिन वह यहां जगह पाने से चूक गई क्योंकि उससे हासिल इलाके को जंग के बाद वापस लौटा दिया गया था.

साहस और गौरव के निर्णायक पल

6 mins

दुनिया के साथ रिश्ते

कूटनीति एक प्रक्रिया है; इसकी सफलता या असफलता कई बार किसी घटना के वर्षों बाद सामने आती है. हो सकता है, एक बड़ी जीत मानकर आज जिस कदम को सराहा जा रहा हो, बाद में उसे एक दृष्टिभ्रम या यहां तक कि पराजय के रूप में भी देखा जाए. इस सूची में विदेश नीति की कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं जो वर्षों की तकनीकी प्रगति (जैसे, 1974 का शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट) या सैन्य शक्ति (1971 में बांग्लादेश में युद्धक्षेत्र की जीत या कारगिल युद्ध) का परिणाम हैं. हालांकि, दोनों तरह की उपलब्धियों में कूटनीति एक महत्वपूर्ण पहलू है. यह सूची उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने, लीक से हटकर सोचने और वैश्विक दबाव के बावजूद संतुलित रहने की भारतीय कूटनीतिक क्षमता की बानगी है.

दुनिया के साथ रिश्ते

4 mins

पैदावार की प्रचुरता

पिछले 75 साल में भारत 'शिप टू माउथ' जैसी स्थिति से बाहर निकलकर खानपान की बुनियादी वस्तुओं के मामले में कमोबेश आत्मनिर्भर हो गया

पैदावार की प्रचुरता

5 mins

मजबूत नब्ज

भारत सरीखे उपमहाद्वीप भर में फैले देश में अत्यंत घनी आबादी और संघीय राजनीति के साथ स्वास्थ्य की चुनौतियां बहुतेरी हैं और उपलब्धियां विभिन्न राज्यों में अलग-अलग. तिस पर भी बीते 75 साल में कई क्षेत्रों में कामयाबी हासिल की गई. उनमें शामिल हैं...

मजबूत नब्ज

6 mins

कानून की आत्मा और कोर्ट

भारत के न्यायिक इतिहास में सबसे अच्छे क्षण तब आए जब अदालतों ने कानून को नहीं बल्कि न्याय के ऐसे प्रथम सिद्धांतों का विचार किया जो अलिखित हैं पर संविधान को रेखांकित करते हैं

कानून की आत्मा और कोर्ट

5 mins

हरियाली का रास्ता

पर्यावरण आंदोलन ने आजाद भारत के 75 वर्षों में नीतियों को आकार देने और विकास के तौर-तरीकों को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस आंदोलन के तीन अलग-अलग रास्ते रहे हैं. पहला, जहां पर्यावरणीय कार्रवाई ने प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए विकास रणनीति को तय करने में भूमिका निभाई. दूसरा, जहां विकास परियोजनाओं का विरोध किया और विवाद की वजह से एक नई सहमति उभरी. तीसरा, जहां प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य के मुद्दों पर पर्यावरण आंदोलन ने नीति में बदलाव को बढ़ावा दिया. हालांकि यह आंदोलन कुछ समुदायों के वन्य संसाधनों पर अधिकार, इन संसाधनों को निकालने और उनके संरक्षण के बीच पेचीदगी से भरा रहा है. इन अंतर्निहित अंतर्विरोधों के मद्देनजर पिछले 75 साल की सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय पहल को गिनाना लगभग नामुमकिन है. मैं इसे आप पाठकों पर छोड़ती हूं कि वे यहां चुने गए लोगों की अहमियत पर विचार करें.

हरियाली का रास्ता

3 mins

उपलब्धियों की प्रतिष्ठा

भारतीय वैज्ञानिकों और अन्वेषकों ने पिछले 75 साल में कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिन्होंने हम सभी को गौरवान्वित किया है. अगर हरित और श्वेत क्रांति ने देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की तो इसके परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान ने भारत को ग्लोबल लीडर्स की पांत में खड़ा कर दिया है. यहां हम उन कुछेक मील के पत्थरों का जिक्र कर रहे हैं जो देश के लिए गेम चेंजर रहे

उपलब्धियों की प्रतिष्ठा

4 mins

लोगों के अधिकार सरकार का कर्तव्य

तमाम नागरिकों के लिए कल्याणकारी राज्य के निर्माण की भारत की कोशिशें उम्मीद जगाने वाली हैं और विचारणीय भी उम्मीद जगाने वाली इसलिए क्योंकि कल्याणकारी राज्य का मौजूद होना भर लोकतंत्र की जीत है. लोकतंत्र ने भारत के आखिरी नागरिक की आवाजों और हितों का सुना जाना पक्का किया. लेकिन विचारणीय इसलिए कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत कल्याण कार्यक्रमों पर अपने स्तर की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बहुत कम खर्च करता है. कल्याणकारी योजनाओं में निवेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है लेकिन 'मुफ्त की रेवड़ी' कहकर इसका मजाक उड़ाया जाता है. यही नहीं, ये योजनाएं खराब अमल से बेजार हैं. इस सबके बावजूद आखिरी नागरिक - की, के लिए और के द्वारा इस लड़ाई ने उन दुस्साहसी प्रयोगों की आग में घी का काम किया जिनमें राज्यों और केंद्र की सरकारों और सिविल सोसाइटी ने बेहद अहम भूमिका अदा की है. भारत में कल्याणकारी राज्य का विकास लोकतांत्रिक भागीदारी की ताकत की कहानी बयान करता है- ऐसी कहानी जिसने राष्ट्रीय और वैश्विक विमर्श को गढ़ा है. यहां मैं इनमें से 10 बेहतरीन कल्याणकारी कदमों का जिक्र कर रही हूं.

लोगों के अधिकार सरकार का कर्तव्य

5 mins

'और दुनिया एक होकर रहने लगेगी'

भारत की कहानी इसके अंदर गुंथी असमानताओं की कहानी भी है. कुछ लोगों और समूहों ने बेहतर और ज्यादा न्यायसंगत समाज का सपना देखने की न केवल दूरदृष्टि दिखाई, बल्कि उसके निर्माण का साहस और संकल्प भी

'और दुनिया एक होकर रहने लगेगी'

4 mins

फौलादी जज्बों ने गढ़े सोने-चांदी के रथ

खेलों के दीवाने देश भारत में विश्व विजेता बनने के लम्हे बहुत ज्यादा नहीं आए. ऐसे ही आग में तपकर निखरे शीर्ष दस लम्हे

फौलादी जज्बों ने गढ़े सोने-चांदी के रथ

5 mins

पुराने धागों से उम्मीद का नया ताना-बाना

महामारी के दौरान स्लो और टिकाऊ फैशन की तरफ बढ़ता रुझान लंबे समय तक हाशिये पर रहे भारतीय हथकरघा क्षेत्र के लिए उम्मीद की किरण बन गया है

पुराने धागों से उम्मीद का नया ताना-बाना

4 mins

कारून का खजाना

बेहिसाब विविधताओं वाला भारत का हस्तशिल्प क्षेत्र न जाने कितने तूफान झेलकर भी फल-फूल रहा

कारून का खजाना

5 mins

मुल्क की प्रसव-पीड़ा का दस्तावेज

आधुनिक हिंदी उपन्यास अपनी काया में बंटवारे की लंबी छाया, आजादी के बाद का मोहभंग, राजनैतिक उथल-पुथल और जाति व्यवस्था की सचाइयां समेटे हैं

मुल्क की प्रसव-पीड़ा का दस्तावेज

3 mins

मंच पर उदात्त मूल्यों की तलाश

पहले भारतीय मिथकों, परंपराओं से जुड़े नाटक रचे गए और फिर कुछ आधुनिक दृष्टिकोण वाले प्रयोग हुए. भारतीय नाटकों ने सार्वभौमिकता की गहरे जाकर तलाश की है

मंच पर उदात्त मूल्यों की तलाश

4 mins

रागों के ये ऊंचे राजदार

भारतीय शास्त्रीय संगीत कोई ठोस और ठहरी हुई चीज नहीं है. सांसों के स्पंदन के साथ इसने आकार लिया है. पिछली सदी की इसकी यात्रा इसकी जीवंत गतिशीलता की गवाह रही है. वे दस नक्षत्र जिन्होंने इसका व्याकरण रचा

रागों के ये ऊंचे राजदार

3 mins

नृत्य के दशावतार

भारतीय शास्त्रीय नृत्य का मूल सौंदर्यशास्त्र कम से कम दो सहस्त्राब्दियों में विकसित हुआ, वहीं आज हम इसके जिन विभिन्न रूपों को जानते हैं, उनके सार और स्वरूप को गढ़ने में पिछली सदी बेहद अहम रही. नृत्य को नए सिरे से परिभाषित करने वाले 10- दशावतार -कौन थे ? किनके नृत्य की पदचाप ने भारत के सांस्कृतिक इतिहास की राह ही बदल दी ? भारत के अव्वल नृत्य आलोचक - इतिहासकार अब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) को दान दे दिए गए मशहूर मोहन खोकर डांस कलेक्शन (एमकेडीसी) से दस्तावेजी प्रमाणों सहित पेश कर रहे हैं अपना चयन.

नृत्य के दशावतार

6 mins

लाइट, कैमरा और कमाल

शानदार वक्त रहा हो या बहुत ही खराब वक्त, भारतीय सिनेमा दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस करता रहा है और वे क्वालिटी के मामले में खूब विविध भी रही हैं. इस बॉम्बे इंडस्ट्री का आउटपुट अपने प्रभाव के लिहाज से सबसे ज्यादा व्यापक रहा है. यहां पेश हैं 10 ऐसे क्रिएटर्स, जो आंधी हो या तूफान, ओले गिरें या हो महामारी, हमेशा लोगों के दिलो-दिमाग पर छाए रहेंगे. इनमें से ज्यादातर में एक समानता है, बेहतरीन मौसिकी के प्रति उनका लगाव. इसके अलावा, अपने स्टूडियो और फिल्म निर्माण बैनर तैयार करने के लिए उद्यमशीलता की भावना है. यहां 10 लोगों के चुनाव की मजबूरी के चलते इस सूची में से कुछ दिग्गजों के नाम छोड़ने के लिए आप मेरी लानत-मलामत कर सकते हैं. यश चोपड़ा, विजय आनंद, राज खोसला, शक्ति सामंत, दुलाल गुहा, असित सेन, बासु चटर्जी, श्याम बेनेगल और सई परांजपे से माफी चाहता हूं, जो बेशक सर्वकालिक महान लोगों की इस सूची में शामिल हैं.

लाइट, कैमरा और कमाल

4 mins

बॉलीवुड: ये उन दिना का बात है

एक ही फिल्मकार की इतनी फिल्में निजी पसंद का हिस्सा हैं कि उनमें से चुनना बेहद तकलीफदेह काम था. मदर इंडिया या अंदाज ? प्यासा, साहिब बीबी और गुलाम या मिस्टर ऐंड मिसेज 55 ? आवारा या श्री 420 ? देवदास या दो बीघा जमीन ? 75 साल के लंबे कालखंड से 10 फिल्में चुनना स्वाभाविक रूप से नामुमकिन है. फिर भी उन ऐतिहासिक फिल्मों की फेहरिस्त प्रस्तुत है जिनका लोकप्रिय हिंदी सिनेमा पर गहरा असर पड़ा.

बॉलीवुड: ये उन दिना का बात है

5 mins

ये कंधे किरदारों के

राजकुमार हो या कंगाल, गंभीर हो या चंचल, मूक हो या वाचाल, हिंदी फिल्म के हीरो ने तरह-तरह का किरदार निभाया. पेश है सर्वश्रेष्ठ की सूची

ये कंधे किरदारों के

4 mins

आंखों में जो बात है

वे अभिनेत्रियां जिनकी रूहानी रौशनी से जगमग हुआ सेल्युलॉइड

आंखों में जो बात है

5 mins

लटकों-झटकों की माया

बॉलीवुड के इतिहास और वर्तमान को बारीकी से दर्ज करती रहीं भावना सोमाया खुद एक प्रशिक्षित डांसर हैं, यहां वे बता रही हैं कि उनके टॉप फिल्मी नाच-गाने कौन से हैं

लटकों-झटकों की माया

4 mins

कानों में रस घोलते गाने

नई सहस्राब्दी की एक संगीतप्रेमी ने बनाई ऐसे फिल्मी गीतों की फेहरिस्त, जिसने उसकी पीढ़ी वालों के दिलों को गहराई से छुआ

कानों में रस घोलते गाने

4 mins

संगीत के ये नगीने

फिल्म संगीत अपने आप में एक प्रजाति है, और संदर्भों से इतर भी गीतों में एक परिवार के सदस्यों जैसी समानताएं हो सकती हैं. ऐसे में किसी फिल्म को अपनी खास चमक से सजाने वाले गीत या एल्बम किसी खजाने जैसे ही रहे हैं. पेश हैं सुनहरी तिजोरी के 10 रत्न.

संगीत के ये नगीने

4 mins

हर फन में फन्ने खां

वरुण ग्रोवर को अभी तक आप गीतकार, कॉमेडियन या पटकथा लेखक के रूप में जानते होंगे, पर हाल ही आई फिल्म कला ने बताया कि वे अभिनय भी कर सकते हैं. वे डायरेक्शन में भी उतर चुके हैं. क्या है जो वे नहीं कर सकते!

हर फन में फन्ने खां

1 min

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PublisherIndia Today Group

CategoryNews

LanguageHindi

FrequencyWeekly

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