बुनाई सीखने के कई तरीके हैं, पहला तरीका तो यह कि आप सलाई लायें और उल्टा-सीधा बुनना शुरू कर दें लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है बुनाई के लिए किस तरह की ऊन का इस्तेमाल किया जाए, सलाई किस नंबर की इस्तेमाल की जाये, जैसे कि बॉर्डर के लिए हमेशा पतली सलाई का इस्तेमाल किया जाता है ताकि वो ढीला न हो। फंदे भी हमेशा पतली सलाई में डालनी चाहिए। आइये जानें बुनाई से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
ऊन की किस्में
• जानवरों के बालों से बनने वाला ऊन-प्योर वूल, अंगोरा, मोहार, सिल्क अलपाका।
• सब्जियों से बनने वाला ऊन- कॉटन लाइनन।
• मैन मेड वूल-नायलौन व एक्रीलिक ऊन कई फाइबर्स से बनता है।
• ऊन में एक सिंगल धागे को प्लाई कहते हैं और कई प्लाई को आपस में ट्विस्ट करके धागा बनता है। धागा जितना मोटा बनाना होता है, उतनी ही प्लाई का प्रयोग होता है।
ऊन खरीदते समय
• हमेशा अच्छी कंपनी का ऊन खरीदें।
• ऊन हमेशा दिन में खरीदें और शेडकार्ड देख कर रंग का चयन करें। रंगों की विशाल रेंज बाजार में मौजूद हैं।
• बच्चों के लिए नरम-मुलायम बेबी वूल खरीदें, ताकि त्वचा को नुकसान न हो।
• ऊन ज्यादा ही खरीदें ताकि स्वैटर बुनते वक्त वह कम न पड़े। ऊन कम पड़ने पर व दोबारा खरीदने पर रंग में फर्क आ सकता है।
• स्वैटर बनाने के लिए हमेशा अच्छी कंपनी की सलाई लें। मोटे ऊन के लिए मोटी सलाई व पतले ऊन के लिए पतली सलाई का प्रयोग करें।
बॉर्डर व डिजाइन
• 2 प्लाई महीन ऊन, 12 नं. की सलाई, 11 नं. की सलाई।
• 3 प्लाई बीच की, 11 नं. की सलाई, 10 नं. की सलाई।
• 4 प्लाई सामान्य, 10 नं. की सलाई, 9 या 8 नं. की सलाई।
• 6 प्लाई मोटी या डबल निट, 6 या 7 नं. की सलाई।
बुनाई करने से पहले
बुनाई करने से पहले निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें-
• जिसके लिए स्वैटर बुनना है, उसकी उम्र, पसंद व रंग का ख्याल रख कर ही ऊन खरीदें।
• यदि स्वैटर बनाते समय सही सलाई का प्रयोग नहीं करेंगी तो स्वैटर अच्छा नहीं बनेगा।
Diese Geschichte stammt aus der January 2024-Ausgabe von Grehlakshmi.
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