नदी सिंदूरी
शिरीष खरे
प्रकाशक | राजपाल प्रकाशन
पृष्ठ: 160 | मूल्य: ₹245
इसके अंदर कहानियों में जहां लेखक बतौर नरैटर लगातार उपस्थित है वहीं और भी कई पात्र बार-बार सामने आकर एक भिन्न दुनिया के अलग-अलग हिस्से बनाते हैं। अपनी प्रवाहमयी भाषा और विशेष लेखन शैली के बूते ये कहानियां सिंदूरी नदी की तरह सतत बहते हुए कभी हंसाते हैं, तो कभी रुलाते हैं। दलित युवक बसंत अपने क्रोध और संताप के कारण अपनापन महसूस कराता है। ‘हमने उनकी सई में फाड़ दई’ कहानी में बसंत का अपनी मिट्टी से जो प्रेम उभर कर आता है वह पूरे गांव को उसके प्रति अलग नजरिए से सोचने पर विवश कर देता है। लेकिन, एक सामंती पुरुष की गंदी हरकत पर जब वही बसंत उसे पीट देता है तब गांव वाले जातिभेद में अंधे हो जाते हैं।
This story is from the October 30, 2023 edition of Outlook Hindi.
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