अधिकतर लोगों के लिए 'फ्लू होना' सेहत का मामूली मसला है. इसमें मौसम बदलने पर बुखार, खांसी, सिरदर्द, बदनदर्द, नाक बहने और गले में तकलीफ सरीखे जाने-पहचाने लक्षण होते हैं और जिन्हें आराम करके और हल्की-फुल्की दवा लेकर ठीक कर लिया जाता है. मगर देश भर के डॉक्टर इन दिनों एक ऐसे फ्लू की इत्तिला दे रहे हैं जो न केवल लंबा चलता है बल्कि इस लिहाज से गैरमामूली भी है कि इसके लक्षण अनोखे हैं और यह ठीक होने के बाद भी दोबारा जल्द आ धमकता है.
इन्फ्लूएंजा के संक्रमणों में बढ़ोतरी को देखते हुए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने जनवरी 2024 में इन्फ्लूएंजा का 2024 चतुर्भुज टीका लगवाने की सिफारिश की, जो इन्फ्लूएंजा ए के दो रूपों और इन्फ्लूएंजा बी के दो रूपों से सुरक्षा प्रदान करता है. इन्फ्लूएंजा सांस का संक्रमण है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर बहुत छोटी-छोटी बूंदों से फैलता है. इन्फ्लूएंजा वायरस चार प्रकार के होते हैं - टाइप ए, बी, सी और डी. इन्फ्लूएंजा ए और बी वायरस घूमते रहते हैं और उस इलाके में बड़े पैमाने पर स्थानीय मौसमी बीमारी पैदा करते हैं. केवल इन्फ्लूएंजा ए वायरस ही महामारियां पैदा करने के लिए जाने जाते हैं. इन्फ्लूएंजा ए वायरस को दो उपप्रकारों में बांटा जाता है - ए (एच1एन1) और ए (एच3एन2) वायरस - जो इन दिनों घूम रहे हैं. ए(एच1एन1) को ए (एच1एन1) पीडीएम09 भी लिखा जाता है क्योंकि इसने 2009 में फ्लू की महामारी पैदा की थी और पुराने ए (एच1एन1) वायरस की जगह ले ली थी. एच1एन1 को 'स्वाइन फ्लू' भी कहा जाता है, और यह सूअर व इंसान दोनों को संक्रमित कर सकता है. एनसीडीसी की एक रिपोर्ट ने ए (एच1एन1) पीडीएम09, ए(एच3एन2) और टाइप बी विक्टोरिया वंशावली के वायरसों की भारत में मौजूदगी की तरफ ध्यान दिलाया है.
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