पंजाब-हरियाणा की सीमा के पास पटियाला के शंभू में भारी-भरकम ट्रैक्टर बड़ी संख्या में जमा हैं. ऊंची आवाज में बजते गीतों में दिल्ली (केंद्र) को नतीजे भुगतने की चेतावनी दी जा रही है और जट सिख समुदाय की बहादुरी का बखान किया जा रहा है. गरजते हुए यह काफिला 13 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी को घेरने निकला था. विरोध कर रहे किसानों का दावा है कि वे अपने साथ महीनों तक का राशन और डीजल लेकर चल रहे हैं. ठीक उसी समय आकाश से आंसू गैस के गोलों की बारिश होने लगी, जिनको बैरिकेड की रक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों ने ड्रोन से दागा था.
यह सारी सीनरी 13 महीने पहले (सितंबर 2020 से नवंबर 2021) के राष्ट्रीय राजधानी के घेराव की याद दिला रही थी. फर्क इतना ही था कि किसान अभी दिल्ली के दरवाजे तक नहीं पहुंचे थे. उस वक्त के घेराव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीछे हटने और कृषि क्षेत्र के बड़े सुधारों को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा था. आम चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं और लंबे विरोध की धमकी ने सत्तारूढ़ भाजपा को खासी फिक्र में डाल दिया है. आम आदमी पार्टी नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मध्यस्थता में किसान संगठनों की केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा के साथ अभी तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है पर बेनतीजा रही है.
हालांकि इस बार भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों से निबटने को बेहतर तैयारी की है. उसने उनको शंभू और खनौरी सीमा पर रोक दिया है और ट्रैक्टर ट्रॉलियों को दिल्ली पहुंचने से रोक रही है. दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सटी सीमा को सील कर दिया है. इस बीच, चंडीगढ़ में मामला हाइ कोर्ट पहुंच गया है जहां याचिकाकर्ताओं ने किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए लगाई गई सभी बाधाएं हटाने की मांग की है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 28, 2024 sayısından alınmıştır.
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