अनुराधा की सासूमां को अचानक दिल का दौरा पड़ गया. पति आनंद ने जल्दी से सोबटेट गोली लाने को कहा पर अनुराधा ने हर ड्रायर को खोल कर देख लिया कहीं टैबलेट नहीं मिल रही थी. हर बार कैमिस्ट से मुसीबत में काम आएगी यह सोच कर ले आती पर अब जब जरूरत पड़ी तो... खैर, वह जल्दी से अपनी पड़ोसिन के यहां से टैबलेट ले कर आई और सासूमां को दी. हौस्पिटल में डाक्टर ने बताया कि समय पर सोर्बीटेट देने के कारण बच पाई वरना... तब अनुराधा को अपनी लापरवाही पर बहुत गुस्सा आया.
विपाशा के सासससुर दोनों ही काफी समय से बीमार थे. उन्हें दवाई देने का काम विपाशा ही करती थी. एक दिन उस ने ससुर की बीपी की दवाई अपनी सास को दे दी. गोली खाते ही सास बेहोश हो कर जमीन पर गिर पड़ीं. जब उस ने देखा कि ससुर की बीपी की दवाई उस ने अपनी सास को दे दी है जो लो बीपी की पेट हैं और हाई बीपी की गोली खाने से उन का बीपी और अधिक नीचे चला गया जिस से वे बेहोश हो गईं. तब वह उन्हें आननफानन में हौस्पिटल ले गई. तब बड़ी मुश्किल से उन की जान बचाई जा सकी.
छोटीछोटी गलतियां
रचिता को अपने भाई की शादी में जाने के लिए बैंक लौकर से गहने निकाल कर लाने थे पर 2 दिन से लौकर की चाबी मिल ही नहीं रही थी. जब बहुत खोजने पर भी चाबी नहीं मिली तो उस ने पति अमन को बताया.
तब अमन ने कहा, “पिछली बार जब तुम लौकर गई थीं तो चाबी तुम से गुम गई थी और तुम ने बैंक में सूचना भी दी थी फिर दूसरी चाबी तो लाई ही नहीं."
अब इतना समय भी नहीं था कि वह बैंक जा सके. अंत में उसे शादी में असली जेवर होने के बावजूद नकली जेवर पहनने पड़े.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin May Second 2024 sayısından alınmıştır.
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आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
मोबाइल जब फोबिया बन जाए
क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...
इंडियन ब्राइडल फैशन शो और क्राफ्ट कला प्रतियोगिता का आयोजन
दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'गृहशोभा' द्वारा समयसमय पर महिलाओं को ले कर अनेक छोटेबड़े आयोजन होते रहते हैं. इन आयोजनों के लिए 'गृहशोभा' एक मजबूत मंच है.
सैक्स के बिना नीरस है दांपत्य
सैक्स को ले कर अकसर गलत और भटकाने वाली बातें होती हैं. मगर क्या आप जानते हैं इसके फायदों के बारे में...
क्राइम है सैक्सुअल हैरसमैंट
शिक्षा ने महिलाओं के विकास और बराबरी का मार्ग तो प्रशस्त किया है, लेकिन कई बार उन्हें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जान कर हैरान रह जाएंगे आप...
क्या है खुश रहने का फौर्मूला
सुखसुविधा से संपन्न जिंदगी जी रहे हैं मगर खुश नहीं रह पाते, तो यह जानकारी आप के लिए ही है...
गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.
संस्कार धर्म का कठोर बंधन
व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...