हैल्थ इज वैल्थ यानी अच्छा स्वास्थ्य ही वास्तविक दौलत या धन है. अतः शरीर को चुस्तदुरुस्त रखने के लिए हमें बचपन से ही से 3 बातों पर ध्यान देना बताया जाता है- उचित खानपान, आवश्यक विश्राम और नियमित व्यायाम.
आज बात करेंगे व्यायाम की. व्यायाम या ऐक्सरसाइज को चिकित्सक पौलिपिल की संज्ञा भी देते हैं. कारण, नियमितरूप से इसे करने वाला व्यक्ति कई बीमारियों से मुक्त रहता है और साथसाथ उस की कार्यक्षमता भी बढ़ती है. ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि एक वयस्क को हफ्ते में कम से कम 2-3 घंटे ऐक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए.
खुद को फिट और स्वस्थ रखने के बहुत से तरीके हैं. मसलन, जिम जाना, रनिंग, योगासन, ऐरोबिक्स या किसी तरह का स्पोर्ट्स इत्यादि. अगर आप इन से हट कर कुछ ट्राई करना चाहते हैं, तो स्विमिंग भी एक अच्छा विकल्प हैं खासकर गरमियों के मौसम में यह लोगों को बहुत पसंद आता है. 'सैंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रीवैंशन' के अनुसार स्विमिंग एक बेहतरीन फुल बौडी वर्कआउट है.
एक स्टडी के मुताबिक लगातार 3 महीने तक हरेक सप्ताह करीब 40-50 मिनट की तैराकी से व्यक्ति की ऐरोबिक फिटनैस में सुधार होता है जो इंसान के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है. स्टडी के अनुसार यह कई तरह की बीमारियों यथा कैंसर, डायबिटीज, डिप्रैशन हृदयरोग और औस्टियोपोरोसिस के खतरे को भी कम करने में सहायक साबित होता है.
कमाल के फायदे
यों तो तैरने से शरीर के कई हिस्सों की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं और विकसित होती हैं पर हां अलगअलग स्ट्रोक या स्विमिंग तकनीक अलगअलग मांसपेशियों को प्रभावित करती है क्योंकि इन सब में तैरने के तरीके और टैक्नीक में थोड़ाबहुत अंतर होता है. हालांकि ज्यादातर स्ट्रोक्स में शरीर के सभी प्रमुख अंगों- धड़, बाजू, पैर, हाथ, पांव और सिर की लयबद्ध और समन्वित हरकतें शामिल होती हैं पर इन तैराकियों में शरीर का इस्तेमाल अलगअलग तरीके से होने की वजह से इन के फायदे भी अलग होते हैं.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin May First 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin May First 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
मोबाइल जब फोबिया बन जाए
क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...
इंडियन ब्राइडल फैशन शो और क्राफ्ट कला प्रतियोगिता का आयोजन
दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'गृहशोभा' द्वारा समयसमय पर महिलाओं को ले कर अनेक छोटेबड़े आयोजन होते रहते हैं. इन आयोजनों के लिए 'गृहशोभा' एक मजबूत मंच है.
सैक्स के बिना नीरस है दांपत्य
सैक्स को ले कर अकसर गलत और भटकाने वाली बातें होती हैं. मगर क्या आप जानते हैं इसके फायदों के बारे में...
क्राइम है सैक्सुअल हैरसमैंट
शिक्षा ने महिलाओं के विकास और बराबरी का मार्ग तो प्रशस्त किया है, लेकिन कई बार उन्हें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जान कर हैरान रह जाएंगे आप...
क्या है खुश रहने का फौर्मूला
सुखसुविधा से संपन्न जिंदगी जी रहे हैं मगर खुश नहीं रह पाते, तो यह जानकारी आप के लिए ही है...
गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.
संस्कार धर्म का कठोर बंधन
व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...