आप अपनी उम्र को बढ़ने से तो नहीं रोक सकते मगर बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम जरूर कर सकते हैं. अगर आप युवा और सक्रिय बने रहना चाहते हैं तो इन बातों का खयाल रखें:
खानपान
हम क्या खाते हैं और कैसे खाते हैं इस का हमारे स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और सक्रियता से सीधा संबंध है. ऐसे में हमें अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
क्या खाएं
• ऐंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्यपदार्थ जैसे सूखे मेवे, साबूत अनाज, चिकन, अंडे, सब्जियां और फल खाएं. ऐंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रैडिकल्स से लड़ते हैं और बुढ़ापे के लक्षणों को धीमा करते हैं. ये इम्यून सिस्टम यानी रोग से लड़ने की क्षमता को मजबूत बना कर संक्रमण से बचाते हैं.
• उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कम होने लगती है. इस के लिए दिन में कम से कम एक कप ग्रीन टी पीएं तो याददाश्त कम नहीं होगी.
• ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स और मोनो सैचुरेटेड फैट से भरपूर खाद्यपदार्थों जैसे मछली, सूखे मेवे, जैतून का तेल आदि का सेवन करें. ओमेगा-3 आप को जवां और खूबसूरत बनाता व रखता है.
• विटामिन सी शरीर के लिए प्राकृतिक बोटोक्स के समान कार्य करता है. इस से त्वचा की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं और उस पर झुर्रियां नहीं पड़तीं. इस के लिए संतरा, मौसमी व पत्तागोभी आदि का सेवन करें.
• कुछ मीठा खाने का मन करे तो गहरे रंग की चौकलेट खाएं यह फ्लैवेनौल से भरपूर होती है जो रक्त नलिकाओं की कार्यप्रणाली को स्वस्थ रखने में सहायता करती है.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin December Second 2022 sayısından alınmıştır.
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आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
मोबाइल जब फोबिया बन जाए
क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...
इंडियन ब्राइडल फैशन शो और क्राफ्ट कला प्रतियोगिता का आयोजन
दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'गृहशोभा' द्वारा समयसमय पर महिलाओं को ले कर अनेक छोटेबड़े आयोजन होते रहते हैं. इन आयोजनों के लिए 'गृहशोभा' एक मजबूत मंच है.
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सुखसुविधा से संपन्न जिंदगी जी रहे हैं मगर खुश नहीं रह पाते, तो यह जानकारी आप के लिए ही है...
गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.
संस्कार धर्म का कठोर बंधन
व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...