बेदाग त्वचा पाना मुश्किल नहीं
Grihshobha - Hindi|December Second 2022
बेदाग और जवां त्वचा के लिए ट्राई करें ये आसान टिप्स...
सोमा घोष
बेदाग त्वचा पाना मुश्किल नहीं

महिला कामकाजी हो या गृहिणी अकसर खुद पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. इस बारे में क्यूटीस स्किन स्टूडियो की कौस्मैटोलोजिस्ट और डर्मेटोलॉजिस्ट डा. अप्रतिम गोयल कहती हैं कि हर महिला सब से सुंदर और आकर्षक दिखने की कोशिश करती है. य खूबसूरत दिखना हर महिला की चाहती होती है मगर अपनी त्वचा में निखार लाने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता, तो कुछ ब्यूटी टिप्स आप के लिए बेहद उपायोगी साबित हो सकती हैं:

मौइस्चराइज

त्वचा को मौइस्चराइज करना सब से जरूरी और आसान कदम है, त्वचा को हाइड्रेटेड और ग्लोइंग दिखाने के लिए दिन में 2 बार मौइस्चराइज करें.

ऐक्सफोलिएट

माइल्ड स्क्रब से सप्ताह में 2 बार स्किन को ऐक्सफौलिएट करें. इस से त्वचा की बाहरी परत से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलती है. यह त्वचा से गंदगी की परत को हटा कर स्किन को चमकदार बनाता है और स्किन केयर प्रोडक्ट्स को त्वचा में गहराई से प्रवेश करने देता है.

क्लींजिंग

Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin December Second 2022 sayısından alınmıştır.

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आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
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पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.

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यहां मायावी मकड़जाल है
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ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.

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औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
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पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.

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मोबाइल जब फोबिया बन जाए
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क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...

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दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'गृहशोभा' द्वारा समयसमय पर महिलाओं को ले कर अनेक छोटेबड़े आयोजन होते रहते हैं. इन आयोजनों के लिए 'गृहशोभा' एक मजबूत मंच है.

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सैक्स को ले कर अकसर गलत और भटकाने वाली बातें होती हैं. मगर क्या आप जानते हैं इसके फायदों के बारे में...

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शिक्षा ने महिलाओं के विकास और बराबरी का मार्ग तो प्रशस्त किया है, लेकिन कई बार उन्हें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जान कर हैरान रह जाएंगे आप...

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सुखसुविधा से संपन्न जिंदगी जी रहे हैं मगर खुश नहीं रह पाते, तो यह जानकारी आप के लिए ही है...

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'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.

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व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...

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