तुलसी-सेवन से हृदय मजबूत होता है इतना ही नहीं बल्कि रक्त की शुद्धि, रक्त के कण एवं गुर्दों की कार्यशक्ति की वृद्धि होती है, कुष्ठरोग दूर होता है, टूटी हड्डी शीघ्रअतिशीघ्र जुड़ती है। सर्पदंश का प्रभाव तुलसी-सेवन करनेवाले पर जल्दी नहीं पड़ता, पड़ता भी है तो हलका-फुलका, फिर छू हो जाता है।
भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के सेवानिवृत्त सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. मन्नेम मूर्ति का कहना है कि साधारण तौर पर एक व्यक्ति, जिसकी ५ फीट ५ इंच लम्बाई है और ६० से ७० किलो वजन है, उसकी आभा (ओरा) २.५ मीटर तक होती है, वहीं दूसरी ओर १ फीट ५ इंच लम्बाईवाले तुलसी के पौधे का वजन मुश्किल से १५० ग्राम होता है किंतु उसकी ओरा ६.११ मीटर तक होती है। कहाँ नन्हा-सा पौधा, कहाँ मोटा-सा आदमी ! कैसा है तुलसी का प्रभाव!
हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया कि तुलसी में पाया जानेवाला एक तैलीय पदार्थ, जिसको आधुनिक वैज्ञानिक लोग 'यूजेनॉल' कहते हैं, वह कोविड- १९ के विषाणुओं को शरीर में फैलने से रोकने में सक्षम है।
तुलसी के तो और भी बहुत कुछ गुण और महिमा हैं। तुलसी की माला गले में पहनने से रक्तसंचार भी सही रहेगा और विकार इतना दबोचेंगे नहीं। ब्रह्मचर्य में भी यह सहायक है। तुलसी के एक चुटकी बीज रात को भिगोकर रखो और सुबह ले लो तो प्रदररोग की तकलीफें, स्वप्नदोष की तकलीफें, कुकर्म करने का आकर्षण कम हो जायेगा।
तो तुलसी पूजन कोई ऐसे ही नहीं चालू कर दिया मैंने । तुलसी के अद्भुत लाभों के शास्त्रीय प्रमाण हैं और ये तो गिनी-गिनायी बातें आपको बतायीं, इसका तो बड़ा लम्बा चौड़ा इतिहास है।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin February 2023 sayısından alınmıştır.
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