उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के समीप सीतापुर जनपद में गोमती नदी के किनारे यह पवित्र धार्मिक स्थल है, जिसे हम सब कई नामों से जानते हैं। ये हैं : नैमिषारण्य, नीमसार, नैमिष यज्ञ। नैमिषारण्य तीर्थस्थल अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है।
ऋषियों की तपोस्थली है नैमिषारण्य
नैमिषारण्य सनातन धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह उत्तरप्रदेश में लखनऊ से लगभग 80 कि.मी. दूर सीतापुर जिले में गोमती नदी के तट पर स्थित है। विष्णुपुराण के अनुसार यह बड़ा पवित्र स्थान है। नैमिषारण्य का मार्कण्डेय पुराण में अनेक बार इसका उल्लेख हुआ है, जहाँ 88,000 ऋषियों ने तप किया है। यहीं पर ऋषियो को महर्षि वेदव्यास जी के शिष्य सूत जी ने महभारत तथा पुराणों की कथाएँ सुनाई थी। इसी कारण नैमिषारण्य को 'ऋषियों की तपोस्थली' कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि जब ब्रह्माजी धरती पर मानव जीवन की सृष्टि करना चाहते थे, तब उन्होंने यह उत्तरदायित्व इस धरती की प्रथम युगल जोड़ी मनु एवं सतरूपा को दिया था। तदनन्तर मनु और सतरूपा ने नैमिषारण्य में ही 23,000 वर्षों तक साधना की थी। नैमिषारण्य का प्रायः प्राचीनतम उल्लेख वाल्मीकि रामायण के युद्ध-काण्ड की पुष्पिका में प्राप्त होता है। पुष्पिका में उल्लेख है कि लव और कुश ने गोमती नदी के किनारे भगवान् श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ में सात दिनों में महर्षि वाल्मीकि रचित काव्य का गायन किया। 'लेमिश् शब्द का अर्थ है 'सुदर्शन चक्र'। भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र के बाहरी सतह ही 'श्लेमिश्' कहलाती है। कहा जाता है कि जिस स्थान पर सुदर्शन चक्र गिरा था, उसे ही नैमिषारण्य कहा जाने लगा। यहाँ चारों ओर जंगल थे। जिस स्थान पर चक्र पृथ्वी से टकराया, वहाँ पानी का झरना निकल आया।
यहाँ है विष्णु की स्वयंभू आकृति
Bu hikaye Jyotish Sagar dergisinin August 2023 sayısından alınmıştır.
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।