भारत के लोग कर्ज में डूबे हुए हैं। वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल की दिसंबर 2023 में आई रिपोर्ट के मुताबिक देश में परिवारों पर कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 40 फीसदी के बराबर था। भारत में परिवारों पर इससे पहले कभी इतना ज्यादा कर्ज नहीं हुआ। इसमें भी चिंता की बात यह है कि कुछ भी गिरवी रखे बगैर मिलने वाले पर्सनल लोन जैसे कर्ज गिरवी वाले कर्ज के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं। जाहिर है कि देश में कई लोग कर्ज के जाल से बाहर आने की कोशिश कर रहे होंगे। मगर इस कोशिश में कई बार भारी गलतियां हो जाती हैं, जिनसे बचना बहुत जरूरी है।
कर्ज का सेटलमेंट
कर्ज सेटलमेंट कराने के लिए कर्ज देने वाली कंपनी या संस्था से बात की जाती है और कुल ऋण से कम रकम एक ही बार में चुकाकर कर्ज खत्म कर दिया जाता है। कर्ज देने वाली संस्था इस पर राजी हो सकती है क्योंकि पूरा कर्ज डूबने के बजाय उसे कुछ तो मिल रहा है। हो सकता है कि किसी का क्रेडिट कार्ड का बिल बढ़ते-बढ़ते 2 लाख रुपये तक पहुंच चुका हो। उसे 1.25 लाख रुपये में इसे निपटाने और कर्ज बंद करने का मौका मिल सकता है। देखने में यह अच्छा सौदा लगता है मगर इसके कई नुकसान होते हैं।
गलती: कर्जदार सेटलमेंट कराने के बाद आगे जाकर होने वाले नुकसान की अक्सर अनदेखी कर देता है। ऐंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन में को-सीईओ राउल कपूर बताते हैं, ‘इस तरह कर्ज खत्म करने से फौरी राहत तो मिल जाती है मगर आपका क्रेडिट स्कोर इससे बहुत खराब हो सकता है और आगे जाकर कर्ज मिलने में या तो दिक्कत आएगी या कर्ज बहुत ऊंची ब्याज दर पर मिलेगा।’
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin May 06, 2024 sayısından alınmıştır.
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