लोकसभा चुनाव शुरू होने में हफ्ता भर भी नहीं रह गया है और प्रचार अभियान तेज होने के साथ ही प्रचार सामग्री की मांग भी बढ़ रही है। हालांकि कुछ साल पहले के मुकाबले इसकी मांग और धंधा काफी मंदा है मगर देश के प्रमुख शहरों और कारोबारी केंद्रों में बैनर, बिल्ले, पैंफलेट, टी-शर्ट, टोपी, बैग, कटआउट और मास्क आदि का उत्पादन तथा बिक्री बढ़ने लगी है।
प्रचार सामग्री का कारोबार पहले से कुछ कम होने की कई वजहें हैं – डिजिटल अभियान बढ़ते जाना, प्रचार सामग्री पर प्रत्याशियों का खर्च पहले से आधा रह जाना, चुनाव आयोग की सख्ती होना और बड़ी पार्टियों का चुनिंदा बड़े व्यापारियों को ही ऑर्डर देना।
भाजपा को ही देख लीजिए। पार्टी का हरेक प्रत्याशी अपने लिए सामग्री काफी कम बनवाता है। उसके बजाय पार्टी केंद्रीकृत तरीके से एकमुश्त खरीद करती है। व्यापारी बताते हैं कि इस बार पार्टी गुजरात के कुछ व्यापारियों से ही ज्यादातर माल मंगा रही है, जिससे छोटे कारोबारियों के धंधे पर चोट पड़ी है। दूसरी बड़ी पार्टियां भी ऐसा ही कर रही हैं। फिर भी बड़े शहरों में काम धीरे-धीरे उठना शुरू हो गया है।
मुंबई: चल रही तैयारी
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में व्यापारियों को ज्यादातर ऑर्डर भाजपा से ही मिले हैं। प्रचार सामग्री बनाने वाले एक कारोबारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘सूरत में हमारे एक साझेदार ने हाल ही में भाजपा को 10 लाख टोपियां तैयार कर दी हैं। पार्टी ने देश भर के कारोबारियों को करीब 2 करोड़ बैग के ऑर्डर भी दिए हैं।’
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin April 13, 2024 sayısından alınmıştır.
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