60 व 70 के दशक से एक मिथ बना हुआ है कि एक सफल मौडल कभी भी सफल अभिनेता नहीं बन सकता. अतीत में दीपक पाराशर सहित कई कलाकारों ने इस मिथ को तोड़ने का असफल प्रयास किया तो क्या इसी वजह से मौडल से अभिनेता बने सिद्धार्थ मल्होत्रा को सफलता नसीब नहीं हो रही है या उन की अपनी कमियां हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा अपने अभिनय की कमियों को सुधारने की बनिस्बत रोमांस की खबरों से ले कर अभिमानभरी बातों तक सुर्खियों में रहते हैं.
38 वर्षीय अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा की परवरिश मर्चेंट नेवी में कैप्टन रहे पिता सुनील मल्होत्रा के यहां हुई. 18 साल की उम्र में ही मौडलिंग करने लगे थे ये 27 वर्ष की उम्र में बतौर अभिनेता उन की पहली फिल्म 'स्टूडैंट औफ द ईयर' प्रदर्शित हुई थी. जी हां, मौडलिंग छोड़ कर एकदो टीवी सीरियलों में अभिनय करने के बाद सिद्धार्थ मलहोत्रा ने 2012 में करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से अभिनय कैरियर की शुरुआत की थी.
2012 से अब तक वे कुल 15 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा के कैरियर की 15वीं फिल्म 'योद्धा' पिछले डेढ़ सालों से सिनेमाघरों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रही है, मगर बारबार इस के प्रदर्शन की तारीख बदलती जा रही है, जबकि फिल्म 'योद्धा' का निर्माण करण जौहर की ही कंपनी 'धर्मा प्रोडक्शन' ने किया है.
क्यों टल रही 'योद्धा'
सागर आम्ब्रे व पुष्कर ओझा निर्देशित फिल्म 'योद्धा' में सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ दिशा पाटनी, राशि खन्ना व सुनील शेट्टी भी हैं. इस फिल्म के पूरी हो जाने पर इसे देख कर करण जौहर ने अपना माथा पीट लिया. करण जौहर को यकीन ही नहीं हो रहा है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा अभी भी इस कदर घटिया अभिनय कर सकते हैं. यही वजह है कि वे इसे प्रदर्शित करने की योजना बारबार टालते जा रहे हैं.
Bu hikaye Sarita dergisinin December First 2023 sayısından alınmıştır.
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50 प्लस की एंड यंग हौट ब्यूटीज
बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति की सुंदरता कम होने लगती है. उम्र के साथ चेहरे पर लकीरें नजर आना और शरीर में थोड़ी चरबी का बढ़ना आम बात है. लेकिन फिल्म जगत में ऐसी कई अदाकाराएं हैं जिन्होंने अपनी खूबसूरती से उम्र को मात दी है. बढ़ती उम्र के साथ ये ऐक्ट्रैसेस और ज्यादा खूबसूरत होती जा रही हैं.
खुशी हमारी मुट्ठी में
जिंदगी में हमेशा खुश रहने के साथ स्वस्थ, सक्रिय व संतुष्ट जीवन बिताना चाहते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है.
मैट्रो और मोबाइल
मोबाइल का गलत उपयोग करना कितना गलत परिणाम देता है, यह मुझे तब पता चला जब मैं एक दिन मैट्रो में सफर कर रहा था. विश्वास न हो खुद ही जान लीजिए ताकि आप को भी एहसास हो ही जाए.
करीबी रिश्ते में खटास लाए बीमारियां
रिलेशनशिप में खटास न सिर्फ मैंटल हैल्थ को प्रभावित करती है बल्कि फिजिकल हैल्थ पर भी इस का बुरा असर पड़ता है क्योंकि इस से होने वाले स्ट्रैस से कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं.
एबौर्शन का फैसला औरत का ही हो
भारत के अनाथाश्रमों में लाखों की संख्या में ऐसे नवजात शिशु पल रहे हैं जिन को पैदा कर के मरने के लिए सड़कों, कूड़े के ढेर, नालियों व गटर में फेंक दिया गया. क्यों? क्योंकि समय पर गर्भवती अपना गर्भ गिराने में नाकाम रही और मजबूरन उसे अनचाहे बच्चे को जन्म देना पड़ा.
क्यों घर से भाग कर पछताती नहीं लड़कियां
कम उम्र की लड़कियों के घर से भागने की वजहें, थोड़ी ही सही, बदल रही हैं. माना यह जाता है कि लड़कियां आमतौर पर फिल्मों में हीरोइन बनने के लिए भागती हैं और नासमझी के चलते कोई भी उन्हें इस बाबत बहका लेता है.
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दहेज हत्या मामले में अकसर लड़के और उस के घर वालों को हिरासत में ले लिया जाता है. मगर क्या सही में दहेज से जुड़े मामलों में हमेशा सारा दोष लड़के या उस के घर वालों का ही होता है? कई बार इस के लिए दोषी खुद लड़की, उस के घर वाले और हमारा समाज भी होता है.
एकादशी महात्म्य - एकादशियों की ऊलजलूल कथाएं बनाम लूट का साधन
एकादशी के कर्मकांड अधिकतर संपन्न व खातापीता तबका करवाते दिखाई देता है. वे बड़े चाव से इस की ऊलजलूल कथाएं सुनते हैं, लेकिन शायद ही वे इस पर कोई सार्थक विमर्श कर पाते हैं या सवाल खड़े कर पाते हैं. अगर वे चिंतनशील होते तो जान जाते कि कैसे एकादशी कर्मकांड पंडों के लूट का साधन के सिवा और कुछ नहीं.
गुड गवर्नेस को मुंह चिढ़ाता पेपर लीक
'मैं अब और जीना नहीं चाहता, मेरा मन भर गया है. मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाए. मैं ने अपनी बीएससी की डिग्री जला दी है. ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके.' पेपर लीक से परेशान व निराश युवा बृजेश पाल ने अपनी जान दे दी. यह उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बृजेश पाल की ही व्यथा नहीं है, देश के कई मजबूर व बेरोजगार नौजवानों की भी यही कहानी है.
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पोर्न फिल्में अब हर किसी की जरूरत बन चुकी हैं. लोग इन्हें उत्तेजना के लिए भी देखते हैं और कई इन्हीं के जरिए जिज्ञासाएं शांत करते हैं. यह देह व्यापार की तरह का अपराध है जिसे कानूनन तो क्या, किसी भी तरीके से बंद नहीं किया जा सकता. वजह, इस का नैसर्गिक होना है. टैक्नोलौजी ने इस की पहुंच सस्ती और आसान भी कर दी है. पोर्न इंडस्ट्री की अपनी अलग दुनिया है लेकिन इस में हलचल तब मचती है जब प्रज्वल रेवन्ना जैसी कोई हस्ती इस में इन्वाल्व पाई जाती हैं.