"एक चीज तो साफ है कि 4 मई से 27 जुलाई तक मणिपुर में पुलिस का शासन नहीं था. राज्य में संवैधानिक संस्था पूरी खत्म हो गई थी." -सुप्रीम कोर्ट
“महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र बनाना होगा." -सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान
बीते 4 महीनों से मणिपुर जल रहा है. कुकी औरतों के साथ बर्बर हिंसा और उन की नग्न परेड के वीडियो वायरल होने की बाद भारत का सिर दुनिया के सामने शर्म से झुका हुआ है. फिर भी अकड़ यह कि प्रधानमंत्रीगृहमंत्री - मुख्यमंत्री के मुंह पर ताले पड़े हुए हैं. दुनियाभर की सैर में देश की जनता का पैसा उड़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर की महिलाओं के जख्मों पर मरहम रखने आज तक न जा पाए. देश के गृहमंत्री हालात पर काबू पाने में अक्षम रहे. हद है कि मणिपुर जल रहा है और मुख्यमंत्री अपनी कुरसी से हिलने को तैयार नहीं. आखिरकार उच्चतम न्यायालय को महिलाओं के साथ हुई बर्बरता के खिलाफ सख्त रुख इख्तियार करना पड़ा है. 20 जुलाई को सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट को कहना पड़ा कि अगर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो कोर्ट उठाएगी और उस के पूर्व महिला न्यायधीशों की कमेटी गठित कर दी उस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जो मणिपुर की 600 से ज्यादा प्राथमीकियों की जांचपड़ताल करेगी.
गंभीर बात यह है कि मणिपुर में यौनहिंसा की शिकार बनी 2 महिलाओं ने याचिका दायर की तो 1 अगस्त, 2023 को देश के उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई. मणिपुर का अब तक का हाल बयां करते हुए सौलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैंच को बताया- “राज्य में हिंसा को ले कर अब तक कुल 6,532 एफआईआर दर्ज हुई हैं, जिन में घटनाएं से 11 महिलाओं के साथ हुई हैं." इस मामले को ले कर उन के बीच परिसंवाद का जानना जरूरी है.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़- कितनी जीरो एफआईआर हुईं?
सौलिसिटर जनरल 11.
चीफ जस्टिस - कितनी जीरो एफआईआर कब सामान्य एफआईआर में बदलीं?
सौलिसिटर जनरल - जी, नहीं मालूम.
Bu hikaye Sarita dergisinin August Second 2023 sayısından alınmıştır.
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50 प्लस की एंड यंग हौट ब्यूटीज
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'मैं अब और जीना नहीं चाहता, मेरा मन भर गया है. मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाए. मैं ने अपनी बीएससी की डिग्री जला दी है. ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके.' पेपर लीक से परेशान व निराश युवा बृजेश पाल ने अपनी जान दे दी. यह उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बृजेश पाल की ही व्यथा नहीं है, देश के कई मजबूर व बेरोजगार नौजवानों की भी यही कहानी है.
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