![अकेले रहें मस्त रहें](https://cdn.magzter.com/1338812051/1687348726/articles/i3__-fgit1687420917243/1687421205868.jpg)
अभिनेता मनोज वाजपेयी की एक फिल्म है 'गली गुलियां' जो पुरानी दिल्ली की पतलीसंकरी गलियों में प्रेमीप्रेमिका की तरह सटे घरों में रहने वालों की उस घुटनभरी जिंदगी के दीदार कराती है, जहां अंधेरा ज्यादा है और रोशनी कम. जहां रिश्तों में आई सीलन उघड़ कर सामने आती है और साथ ही हम मिलते हैं फिल्म के मुख्य किरदार 'खदूस' से जो इतना अकेला है कि उसे दूसरों की जिंदगी में झांकने की बीमारी हो जाती है.
मनोज वाजपेयी ने 'खदूस' को इतनी बारीकी से जिया है कि क्या कहने पर जब उन्होंने अपने इस खड़स किरदार के बारे में अजीब सा खुलासा किया तो लगा कि जिंदगी में अकेलापन किसी घुन से कम नहीं जो धीरेधीरे अच्छेभले इंसान को चलताफिरता भूत बना देता है, वह सस्ता नशा करता है, बीड़ी फूंकता है और उस के खानेपीने का भी कोई ठिकाना नहीं होता है. ऐसा नहीं है कि वह काम नहीं कर सकता पर दूसरों पर पलना उस की आदत सी बन जाती है.
दरअसल मनोज वाजपेयी ने इस फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए एक इंस्टग्राम पोस्ट लिखी थी. उस में उन्होंने बताया था कि इस फिल्म में काम करते समय वे अपना मानसिक संतुलन खोने के कगार पर पहुंच गए थे तो क्या यह मान लिया जाए कि जो इंसान अकेला है, वह कभी खुश नहीं रह सकता? उसे दुनिया की सुखसुविधाएं भोगने का हक नहीं है?
जी नहीं, ऐसा कतई नहीं है. अकेलापन कोई सजा नहीं है, बल्कि यह तो मजा है, जिंदगी अपने लिहाज से जीने का अंदाज है. फरीदाबाद के सैक्टर 31 में अमन नाम का एक इंजीनियर रहता है. उम्र 41 साल शादी के झमेले में नहीं फंसा पर अपने घर को संवार कर रखने की कला में माहिर है. वह 2 बैडरूम के फ्लैट में रहता है. कोरोना के बाद से वर्क फ्रॉम होम ज्यादा करता है पर अगर उस के घर में कभी जाएंगे तो लगेगा ही नहीं कि वह किसी अकेले का घर है.
दरअसल जिस तरह का भारतीय समाज है, वहां किसी अकेले के रहने पर शक करने वालों की कमी नहीं होती पर अमन अलग ही मिट्टी का बना है और उस के घर में जा कर जो अपनापन मिलता है, वह बेमिसाल है.
Bu hikaye Sarita dergisinin June Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Sarita dergisinin June Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
![निसंतानता पर फिल्में क्यों नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/UMqQrL2CE1718092908630/1718093170093.jpg)
निसंतानता पर फिल्में क्यों नहीं
देर से शादी, फर्टिलिटी रेट के गिरने व अन्य कारणों के चलते आजकल कपल्स के बीच निसंतानता बड़ी समस्या बन कर उभरी है. लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर फिल्में नहीं बन रहीं. आखिर वजह क्या है, जानिए.
![सर जी मी टू](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/FxwRM2i0k1718092585140/1718092912874.jpg)
सर जी मी टू
मैं अपना बोरियाबिस्तर बांध आप के चार्टर यान की राह में पलकें बिछाए तैयार बैठा हूं, हे असंतुष्टों के नाथ, मैं आप के करकमलों द्वारा अपने गले में इज्जत का पट्टा डलवाने को बेकरार हूं.
![बच्चों को रिस्क उठाने दें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/9Nn_YNzHN1718092294625/1718092567383.jpg)
बच्चों को रिस्क उठाने दें
बच्चा अगर धूप, धूल और मिट्टी में खेलना चाहता है तो उसे खेलने दीजिए, वह अगर पेड़ और पहाड़ पर चढ़ना चाहता है तो उसे चढ़ने दीजिए, वह अगर ऐसी कोई दूसरी एक्टिविटी, जो आप को जोखिमपूर्ण लगती हो, में शामिल होना चाहता है तो उसे रोकिए मत ताकि जरूरत पड़ने पर वह खुद की सहायता कर सके.
![बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रुपैया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/FqvuZgvtM1718091844037/1718092293053.jpg)
बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रुपैया
पैसा, सत्ता, संपत्ति की ताकत ऐसी है कि यह अच्छे से अच्छे रिश्तों में दरार पैदा कर देती है. ऐसा नहीं है कि यह आधुनिक समय की देन है, पौराणिक समय से कई युद्ध, टकराव इस के चलते ही हुए.
![क्या आसान हो गया है जैंडर चेंज कराना](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/oJm3p9HoS1718091157583/1718091844123.jpg)
क्या आसान हो गया है जैंडर चेंज कराना
जैंडर चेंज कराने के पीछे जैंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जैंडर डायसोफोरिया है. इस के पीछे हार्मोनल बदलाव का होना है. जैंडर चेंज कराने वालों या इस की इच्छा रखने वालों का लोग अकसर मजाक उड़ाते हैं, पर समझने की बात यह है कि इसे कराने वाले ही जानसमझ सकते हैं कि वे अपनी लाइफ में क्या कुछ नहीं झेल रहे होते.
![एंटीबायोटिक क्यों है खतरनाक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/7_LWEX46Q1718090960036/1718091155459.jpg)
एंटीबायोटिक क्यों है खतरनाक
अकसर लोग छोटीछोटी बीमारियों के लिए एंटीबायोटिक खाते हैं, लेकिन क्या आप को पता है कि एंटीबायोटिक दवा के अनावश्यक और अत्यधिक उपयोग सेहत पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है?
![सरकारी स्कूलों के बच्चे भी ला सकते हैं अच्छे नंबर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/6JDNneKTC1718090714666/1718090960097.jpg)
सरकारी स्कूलों के बच्चे भी ला सकते हैं अच्छे नंबर
अगर एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी को हटा दिया जाए तो प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बीच बुनियादी सुविधाओं का अंतर धीरेधीरे खत्म होता जा रहा है. ऐसे में यदि मेहनत और लगन से पढ़ाई करवाई जाए तो सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अच्छे अंक ला सकते हैं.
![बालिका गृहों में यौन शोषण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/PxskXFrub1718090360698/1718090713899.jpg)
बालिका गृहों में यौन शोषण
किशोर गृहों, बालिका गृहों और अनाथाश्रमों से बच्चों के भाग जाने की खबरें लगभग हर दिन अखबारों के किसी न किसी कोने में होती हैं क्योंकि इन गृहों में तैनात रक्षक ही भक्षक बन चुके हैं. नन्हीनन्ही बच्चियां यहां दुराचार का शिकार हो रही हैं और उन की चीखें सुनने वाला कोई नहीं है.
![चारधाम यात्रा - मोक्ष के चक्कर में बेमौत मर रहे श्रद्धालु](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/eyyN3Rrge1718090160288/1718090359806.jpg)
चारधाम यात्रा - मोक्ष के चक्कर में बेमौत मर रहे श्रद्धालु
कहते हैं देवता भी मानव योनि को तरसते हैं क्योंकि तमाम सुख और आनंद इसी योनि में हैं. लेकिन आदमी है कि मोक्ष के लिए मरा जाता है और इस के लिए उस की पसंदीदा जगह केदारनाथ और बद्रीनाथ हो चले हैं. 15 मई तक घोषित तौर पर 11 को 'मोक्ष' मिल चुका है और हर साल की तरह यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा.
![राहुल गांधी से शादी का सवाल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1728502/-jUnZ6N0f1718089849800/1718090159082.jpg)
राहुल गांधी से शादी का सवाल
धर्मसत्ता को और औरतों को गुलाम बनाए रखने के लिए शादी सब से जरूरी होती है. सनातनी व्यवस्था बिना शादी के पारिवारिक समाज में रहना उचित नहीं मानती. ऐसे में हर कुंआरे से यह सवाल बारबार उठाया जाता है कि 'शादी कब करोगे.'