गायन के क्षेत्र में एक ऊंचा मुकाम प्राप्त करने के बाद अनुराधा पौडवाल अब पूर्ण रूप से समाजसेवा को समर्पित हैं। उनके द्वारा ऐसे बच्चों को हियरिंग मशीन प्रदान की जा रही है, जो ठीक से सुन सकने में असमर्थ हैं। अनुराधा पौडवाल से उनके फिल्मी करियर, भक्ति संगीत के सफर और सामाजिक कार्यों के विषय में आउटलुक से मनीष पाण्डेय ने बातचीत की।
जब अपनी यात्रा में पीछे मुड़कर देखती हैं, तो किस तरह के अनुभव नजर आते हैं?
मेरे लिए यह यात्रा अलौकिक रही है। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं फिल्मों में गाने गाऊंगी। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि मैं इतने गाने रिकॉर्ड कर पाऊंगी और मुझे श्रोताओं का इतना प्यार मिल पाएगा। इन सभी उपलब्धियों के लिए मैं अपने माता-पिता, सास-ससुर, गुरु और ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहूंगी। इस पूरी यात्रा में मेरे पति, मेरे बच्चों ने पूरा साथ दिया। उनके सहयोग के बिना मेरे लिए इस स्तर पर पहुंच पाना संभव नहीं था। एक कलाकार की यात्रा यूं भी कई लोगों के सहयोग से आगे बढ़ती है। मेरी यात्रा में परिवार, मीडिया, श्रोताओं, म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का बड़ा योगदान रहा है। इस पूरी यात्रा के दौरान मुझे यह संतुष्टि मिली है कि मेरा काम लोगों को पसंद आया। लोगों के मन में मेरे काम के प्रति प्रेम उमड़ पाया। यही मेरी यात्रा का हासिल है।
बचपन से जुड़ी, ऐसी कौन सी यादें हैं, जिसका ख्याल आते ही चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है?
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin June 26, 2023 sayısından alınmıştır.
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा