उन सज्जन ने टेक्स्ट मैसेज में लिखा, “अगर यह उल्टी धारा में तैरेगी तो बड़ी तेज जाएगी. " उस 'यह' को उन्होंने 'जांबाज आइटम' करार दिया. पता ही रहा होगा उन्हें. अरुणाचल की उन हैरतअंगेज पहाड़ियों से उनकी मुलाकात सलमान खान से तो पहले ही हो चुकी थी, जो चार साल पहले मेचुका आदिवासियों के बीच आए और यहां घूमे थे. 'यह' ओलंपिक जीतने का सपना देखने वाली कोई मछली नहीं थी, बल्कि हल्का, उजला, कच्चा मछली का सूप था, जिसे इलाके की तहजीब से नावाकिफ लोग ज्यादा कुछ सोचे-बिचारे बगैर ही, लुत्फ लेने के लिए गटक लेते हैं. मैं अरुणाचल के नमसाई में थी. काफी देर हो चुकी थी. मेरी नाक उस बेहद लजीज कटोरे में डूबी थी, जिससे मैं पासा नाम का वह जायकेदार थाई खाम्प्टी रस सुड़क रही थी. उसके बाद तो वह मेरा पसंदीदा ठंडा पेय बन गया.
मुद्दे की बात यह है कि जाने-अनजाने देश भर की देसी रसोइयों में स्वाद का लुत्फ खोज चुके हम में से बहुत से अनुभवी लोग भी कई दफा खुद को ऐसे मकाम पर पाते हैं जहां जायका हमारा इम्तहान लेता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम पहले सूअर की टांग, घोंघे, कुटू की ताजा पत्तियों या ऊंट के दूध का स्वाद ले चुके हैं या नहीं. एक नितांत अलहदा स्वाद की दहलीज छूने और उसे पार करने से पहले मुमकिन है हमें पल भर गहरी सांस खींचकर रुकना पड़े. मगर पैर के लंगड़ेपन और स्वाद के अंधेपन में बड़ा फर्क होता है.
कभी-कभी मुझे लगता है कि भारत में कुछ ज्यादा ही संस्कृतियां हैं. हमारे यहां करीब 700 देसी समुदाय हैं, जो यही कोई 10.4 करोड़ या आबादी के 8.6 फीसद बैठते हैं. कम से कम एक वैश्विक सूचकांक पर तो ये दूसरे तमाम देशों से ज्यादा हैं. इसके बावजूद दिल्ली की किसी डिनर पार्टी में अगर किसी से एक भी ऐसे देसी व्यंजन का नाम बताने को कहिए जिसका उसने जायका लिया हो या उसे अच्छा लगता हो, तो ज्यादातर के तोते उड़ जाएंगे; मानो उनसे चटनी के लिए लाल चींटियां बटोरने को कह दिया गया हो. लाल चींटियों की चटनी खान-पान की उन देसी संस्कृतियों की अथाह संपदा के लिए पोस्टर रेसिपी बन गई है जिनके बारे में हम बहुत कम जानते हैं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 10, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 10, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
अब जीने के कायदों पर किताब
अपनी नई किताब इलेवन रूल्स फॉर लाइफ के साथ चेतन भगत ने की है नॉन-फिक्शन की दुनिया में वापसी
'भोट जरूरी है मगर पेट उससे ज्यादा'
बिहार के कोसी अंचल में ऐन चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर यहां के मजदूर फसल कटाई के लिए पंजाब का रुख कर रहे. स्टेशन बिहार छोड़कर जाने वालों से अटे पड़े. पेट की आग मताधिकार पर पड़ रही भारी
भाजपा के ट्रंप कार्ड को चुनौती देती कांग्रेस
टीम मोदी विधानसभा चुनाव में हासिल जीत की लय के भरोसे है लेकिन चतुराई से प्रत्याशियों का चयन शायद कांग्रेस का सूपड़ा साफ न होने दे
धमक दिखाने उतरा मुलायम का परिवार
लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव समेत मुलायम सिंह यादव परिवार के पांच सदस्य. यादव बेल्ट की कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और आजमगढ़ सीट को फिर से जीतने की चुनौती
“मोदी 3.0 में टेक्नोलॉजी से जुड़े बदलाव हमारी बड़ी प्राथमिकता होंगे”
आम चुनाव 2024 के दौर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नॉर्थ ब्लॉक के लकदक परिसर से निकलकर चुनावी मैदान की धूल-गर्मी झेल रही हैं. चुनाव प्रचार की अपनी भारी व्यस्तता के बीच उन्होंने ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और मैनेजिंग एडिटर एम. जी. अरुण के साथ खास बातचीत में बेबाकी से जवाब दिए. उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई जैसे असहज मसलों सहित अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी मुद्दों पर रोशनी डाली और यह भी बताया कि अगर भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में आती है तो हम मोदी 3.0 से क्या उम्मीद कर सकते हैं. बातचीत के संपादित अंशः
अर्थशास्त्र मोदी का कामयाबी और नाकामियां
देश की अर्थव्यवस्था एक अहम चुनावी मामला. उसी के आईने में कुछ प्रमुख आर्थिक पैमानों पर मोदी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड का आकलन
आप की अग्निपरीक्षा का वक्त
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के रूप में अपने शीर्ष नेतृत्व की गैरमौजूदगी में आम आदमी पार्टी सांगठनिक स्तर पर खुद को किस तरह से तैयार कर रही
बहुमत तलाशते 'महाराजा'
भाजपा ने मैसूरु के पूर्व शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है जो सिद्धारमैया का गृहनगर है
घिर गए ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी और उनकी एआइएमआइएम अपने गढ़ हैदराबाद में दबाव महसूस कर रहे हैं
घरेलू मैदान में शाह
दूसरे कार्यकाल के लिए गांधीनगर से चुनाव लड़ते हुए केंद्रीय गृह मंत्री विशाल जनादेश पाने की गरज से विकास और गुजराती गौरव के नारे पर भरोसा कर रहे हैं. मगर नौकरियों और क्षत्रिय विवाद से जीत का अंतर कम होने का अंदेशा