गन्ना भारत की फायदेमंद नकदी फसल है. गन्ना उष्ण कटिबंधीय व उपोष्ण देशों में उगाया जाता है. भारत में कपड़ा उद्योग के बाद चीनी उद्योग का दूसरा ग स्थान है. दुनिया के कुल 114 देशों में चीनी का उत्पादन 2 फसलों गन्ना व चुकंदर के द्वारा किया जाता है. दुनिया के खास गन्ना उत्पादक देश ब्राजील, भारत, क्यूबा, चीन, मैक्सिको व फिलिपींस हैं.
गन्ने के रकबे में भारत पहले स्थान पर है, परंतु चीनी उत्पादन में भारत ब्राजील के बाद गन्ने का दूसरा सब से वैश्विक चीनी उत्पादक और दुनिया का खास चीनी उपभोक्ता है. यह 11.08 मिलियन टन चीनी का उत्पादन करता है. वैश्विक चीनी का लगभग 70 फीसदी गन्ने से मिलता है. भारत का कुल गन्ना खेती रकबा लगभग 5.08 मिलियन हेक्टेयर है और उत्पादन 68 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 350.02 मिलियन टन है.
गन्ने की फसल से 100 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें उन्नत प्रजाति, समन्वित पोषक तत्त्व, नवीन विधियों द्वारा बोआई एवं रोग व कीटों के प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए.
खेत की तैयारी
खेत को तैयार करने के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जोत कर 3 बार हैरो से जुताई करें. देशी हल की 5 से 6 जुताइयां काफी होती हैं. अंतिम जुताई के समय गोबर, कंपोस्ट, प्रेसमड (चीनी मिल से मिलने वाली) का इस्तेमाल जरूर करें और इस को 10-15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें. आखिरी जुताई के समय पाटा लगाएं.
मिट्टी व आबोहवा
गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली भारी मिट्टी पसंद की जाती है. हालांकि यह मध्यम और हलकी बनावट वाली मिट्टी पर भी सुनिश्चित सिंचाई के साथ अच्छी तरह से बढ़ती है. 0.5 फीसदी के साथ मिट्टी में 0.6 फीसदी कार्बन और पीएच मान 6.5-7.5 गन्ने की बढ़वार के लिए सब से मुनासिब है.
बीज एवं बीजोपचार
Bu hikaye Farm and Food dergisinin February First 2023 sayısından alınmıştır.
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मई माह में खेती के खास काम
गरमी के इस खरीफ महीने मई में गेहूं की कटाई कर भंडारण के लिए उसे धूप में सुखा लें. उस में नमी की मात्रा 8-10 फीसदी रहे, तब इस का भंडारण करें. भंडारण से पहले भंडारगृह को कीटनाशी दवा से साफ कर लें.
आम की अनेक व्यावसायिक किस्में
अपने ही देश में तकरीबन आम की 1,000 किस्में ऐसी हैं, जिन का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन इस में से बहुत कम ऐसी किस्में हैं, जिन का उत्पादन व्यावसायिक निर्यात के नजरिए से किया जाता है.
आम की बौनी, रंगीन और व्यावसायिक किस्में
हमारे देश में उगाए जाने वाले फलों में आम ही एक ऐसा फल है, जो अपने अलगअलग स्वाद, सुगंध और रंगों के लिए जाना जाता है. आम में पाया जाने वाला पोषक गुण भी इसे विशेष बनाता है, इसीलिए इसे 'फलों के राजा' का दर्जा भी प्राप्त है. आम ही एकलौता ऐसा फल है, जिस की बागबानी दुनिया के लगभग सभी देशों में की जाती है.
जलवायु परिवर्तन के दौर में काला नमक धान की खेती
काला नमक धान काली भूसी और तेज खुशबू वाली धान की एक पारंपरिक किस्म है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों के 11 जिलों और नेपाल में उगाई जाने वाली यह पारंपरिक किस्म वर्तमान में मौसम के उतारचढ़ाव और प्राकृतिक आपदा आदि के कारण कम उपज का कारण बनती है.
पैडी प्लांटर धान रोपाई यंत्र
हाथ से धान की रोपाई करने का काम बहुत थकाने वाला होता है. धान की रोपाई में कई घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती है, जिस से काफी परेशानी होती है और समय भी बहुत लगता है. अब बहुत से किसान धान की रोपाई हाथ के बजाय मशीनों से कर रहे हैं.
कसावा की उन्नत खेती करें
साबूदाना बनाने के लिए सब से पहले कसावा के कंद को अच्छे से धोया जाता है. इस के बाद कंदों को छील कर उनकी पिसाई की जाती है
खेत जुताई यंत्र रोटावेटर
बहुत से दूसरे यंत्रों की तरह रोटावेटर खेती में इस्तेमाल होने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर काम किया जाता है. इस का खासकर इस्तेमाल खेत की जुताई के लिए किया जाता है.
ड्रम सीडर यंत्र करे धान की सीधी बोआई
धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की सीधी बोआई आदि.
मोटे अनाज के बेकरी उत्पादों को बनाएं रोजगार
18 मार्च, 2024 कभी मोटे अनाज (श्रीअन्न) जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कांगणी, सांवा, चीना आदि को गरीबों का भोजन माना जाता था, लेकिन आज अमीर आदमी मोटे अनाज के पीछे भाग रहा है. दरअसल, मोटे अनाज में ढेर सारी बीमारियों को रोकने संबंधी पोषक तत्त्वों की भरमार है, इसलिए लोग श्रीअन्न को अपने भोजन में शामिल करने लगे हैं.
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत जागरुकता कार्यक्रम
27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया.