पत्तियों की सरसराहट, पक्षियों का कलरव, मधुर संगीत या फिर प्रेम में डूबे अल्फाज आपको रोमांचित करते हैं, लेकिन अगर आप ऐसी किसी आवाज को सुन ही ना पाएं, तो? फर्ज कीजिए आपसे किसी ने कुछ कहा और आप सुन ना पाए। जी हां, अगर आप हियरिंग लॉस के शिकार हैं, तो सुनाई देना कम या बंद हो सकता है। बुजुर्गों में सुनने की क्षमता कम होना उम्र का तकाजा हो सकता है, लेकिन आज तो बच्चे भी हियरिंग लॉस के शिकार हो रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 6.3 प्रतिशत यानी लगभग 88.2 मिलियन भारतीय आज सुनने की क्षमता खो चुके हैं। अनुमान है कि सन 2050 तक हर 10 में से 1 व्यक्ति हियरिंग लॉस का शिकार हो चुका होगा। इस बुरी स्थिति की वजह क्या है, इसके बारे में हमने बात की डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली में ईएनटी डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट और हेड डॉ. अशोक कुमार से। डॉ. (प्रो.) अशोक का कहना है कि आज बहरापन सबसे अधिक होनेवाला इंद्रिय संबंधी रोग है। अगर कोई व्यक्ति 70 डेसिबल से अधिक की ध्वनि को अपने दोनों कानों से ना सुन पाए, तो वह हियरिंग लॉस का शिकार है। आइए, सुनने की क्षमता खोने के बारे में जानने से पहले हम यह जान लें कि हम सुनते कैसे हैं-
कैसे सुनते हैं हम कोई आवाज
हमारे कान के 3 प्रमुख भाग होते हैं- आउटर इयर, मिडिल इयर और इनर इयर। जब कोई आवाज आउटर इयर से होकर हम तक पहुंचती है, तो इयर ड्रम में वाइब्रेशन होता है। इयर ड्रम और मिडिल इयर की 3 छोटी हड्डियां आवाज को बढ़ा देती हैं, ताकि वह इनर इयर तक पहुंचे। वहां यह वाइब्रेशन इनर इयर के कॉक्लिया में मौजूद फ्लूइड से गुजरती हैं। यहां इसे इलेक्ट्रिकल सिगनल में बदल कर ब्रेन तक पहुंचा दिया जाता है। हमारा ब्रेन इस सिगनल्स को साउंड में बदल देता है और हम उसे सुन पाते हैं। लेकिन इस प्रोसेस में कोई रुकावट आती है, तो हम कम सुनने लगते हैं या एकदम नहीं सुन पाते हैं।
हियरिंग लॉस की वजह
सुनने की क्षमता में कमी किसी भी उम्र में आ सकती है और हर उम्र के लिए इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं। हियरिंग लॉस की 3 बेसिक कैटेगरी होती हैं— सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस (SNHL), कंडक्टिव हियरिंग लॉस (CHL) और मिक्स्ड हियरिंग लॉस (MHL)।
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin March 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin March 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
प्रियंका चोपड़ा-जोनस - मेरी दुनिया है मां
प्रियंका चोपड़ा अब खुद एक बच्ची की मां बन चुकी हैं। पापा की लाड़ली प्रियंका मां को अपनी पूरी दुनिया मानती हैं।
केले के फायदेमंद छिलके
केला खाने के बाद उसके छिलकों को ना फेंकें । छिलकों को कई तरह से इस्तेमाल करें।
Summer Cool Decor Ideas
कुछ सिंपल होम डेकोर टिप्स की मदद से इस सीजन में अपने घर को रख सकते हैं ठंडा और सुकून भरा। इसके लिए चाहिए बस थोड़ी सी मेहनत और कुछ बदलाव
मीनाक्षी शेषाद्रि मैं सरप्राइज करने आयी हूं
मीनाक्षी शेषाद्रि ने 1983 में अपनी डेब्यू फिल्म पेंटर बाबू से लोकप्रियता हासिल की, लेकिन इसी वर्ष आई हीरो ने उन्हें और जैकी श्राफ को स्टारडम दिया। इन फिल्मों के 40 वर्ष पूरे होने पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश-
डिलीवरी में मदद करेगी लमाज क्लास
डिलीवरी को ले कर प्रेगनेंट कपल के मन में बहुत से डर होते हैं, इन्हें दूर करने व डिलीवरी को आसान बनाने के लिए एक्सपर्ट्स करवा रहे हैं लमाज व एंटी नेटल क्लासेज, एक जानकारी-
जनाब! यह आम नहीं खास है
आम हर दिल अजीज है। गरमियों की इस खुशबूदार सौगात के बारे में आप क्या जानते हैं? हम जिसे आम कहते हैं, वह आम नहीं, खास है। क्यों, बता रही हैं वनिता की कुकरी एक्सपर्ट प्रीता माथुर -
कहीं आप पार्टी स्पॉइलर तो नहीं
पार्टी का मजा तभी है, जब सब इसे एंजॉय करें, इसलिए कोई ऐसी हरकत ना करें, जिससे सबका मूड खराब हो!
नाखुश हैं क्या...
हर किसी को अपनी जिंदगी से कुछ अपेक्षाएं होती हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए तो अप्रैल-मई का समय कुछ खास होता है, क्योंकि ज्यादातर कंपनियों में ये अप्रेजल मंथ होते हैं।
अवंतिका चौधरी - चुनौतियों के बीच ही छिपा होता है अवसर
तीन-चार लोगों के साथ शुरू हुआ था उनके व्यवसाय का सफर। कुछ अपनी बचत की गयी पूंजी थी, बाकी दोस्तों से मदद मिली। पूंजी के अलावा उन्होंने समय एवं नॉलेज का भी निवेश किया। इस तरह, लखनऊ की मूल निवासी अवंतिका चौधरी ने फूड के लिए अपने पैशन को जीते देहरादून में 'माया कैफे' की नींव रखी। उनके सामने जो बाधाएं आयीं, उन्हें स्वीकार करके आगे बढ़ीं और आखिर में अपने लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। बिजनेस में आने वाली महिलाओं को माया कैफे की सह-संस्थापक एवं हेड शेफ अवंतिका कहना चाहती हैं कि वे खुद पर विश्वास रखें। अपनी क्षमताओं को पहचानें। जो भी विजन या काम है, उसके प्रति ईमानदार रहें। चुनौतियों में ही अवसर छिपा होता है।
पास आओ ना
कई बार स्त्रियां चाह कर भी सेक्स के लिए मूड नहीं बना पातीं। आखिर ऐसी कौन सी परेशानियां हैं, जिनका महिलाएं सामना कर रही हैं। जानिए एक्सपर्ट की सलाह-