गन्ना और पराली जलाने से किसानों को हो सकती है किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी
Modern Kheti - Hindi|November 15, 2023
वैज्ञानिकों को गन्ना और पराली जलाने से पैदा हुई सिलिका और किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी के बीच संबंधों का पता चला है। गौरतलब है कि किसानों और कृषि कार्यों में लगे मजदूरों में गुर्दे से जुड़ी एक रहस्यमयी बीमारी देखी गई है।
गन्ना और पराली जलाने से किसानों को हो सकती है किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी

यह बीमारी आज भी एक रहस्य बनी हुई है, क्योंकि इसके सटीक कारणों का अब तक पता नहीं चला है। लेकिन हाल ही में कोलोराडो विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपने नए अध्ययन में खुलासा किया है कि खेतों में गन्ने के बचे हिस्सों और पराली को जलाने से सिलिका नामक जहरीला पदार्थ मुक्त होता है, जो किसानों में गुर्दे से जुड़ी इस रहस्यमयी बीमारी की एक वजह हो सकता है। देखा जाए तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में गन्ना श्रमिक और किसान शामिल हैं, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि गन्ने की कटाई और जलाने के दौरान उत्पन्न होने वाली सिलिका गुर्दे की इस बीमारी की वजह हो सकती है।

जर्नल एनवायर्नमेंटल पॉल्यूशन में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि गन्ने के अवशेषों और पराली को जलाने से पैदा हुई राख में सिलिका के महीन कण मौजूद होते हैं जो वातावरण में फैल जाते हैं और फिर सांस या दूषित पानी के माध्यम से फेफड़ों के जरिए किसानों या उसके संपर्क में आने वालों के गुर्दों में प्रवेश कर सकते हैं और किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी की वजह बन सकते हैं। 

Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin November 15, 2023 sayısından alınmıştır.

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कैसे खरीदें उत्तम बीज
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किसी भी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए गुणवत्ता भरपूर बीज एक आरंभिक जरुरत है। अच्छे बुरे बीजों का अहसास किसानों को 45-46 वर्ष पहले उस समय हुआ जब मैक्सीकन गेहूं की मधरे कद्द वाली किस्में नरमा रोहो एवं सोनारा-64 की उन्होंने पहली बार काश्त करके 1965-66 में की थी।

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क्षारीय-लवणीय पानी की मार से बचाती है हरी खाद
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पंजाब में घनी खेती, अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की काश्त एवं लंबे समय से अपनाई जा रही धान-गेहूँ फसली चक्र के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है।

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स्वैः रोजगार का मार्ग सर्टीफाईड सीड उत्पादन
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कृषि उत्पादकता में बीज की गुणवत्ता विशेष भूमिका अदा करती है। कृषि उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अन्य कारकों के मुकाबले बीज का महत्व कहीं अधिक होता है। दीर्घकाल से कृषि में बढ़ोतरी एवं विकास के लिए बेहतर टैक्नॉलोजी एवं प्रसार अत्यंत आवश्यक है। आमतौर पर यह टैक्नॉलोजी बीज द्वारा खेतों तक पहुंचाई जाती है। 1960 के दशक में हरित क्रांति की लहर का बड़ा कारण नये बीजों की खोज एवं प्रसार को माना जाता है।

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पशुओं को लम्पी बीमारी से बचाने के लिए उपाय
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पशुओं को लम्पी बीमारी से बचाने के लिए उपाय

लम्पी स्किन बीमारी गाय व भैंसों में फैलने वाला वायरस जनित रोग है। इस बीमारी में पशु को तेज बुखार, भूख न लगना, दूध में गिरावट, नाक व मूँह से पानी गिरना इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं।

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ड्रिप सिंचाई प्रणाली का निर्माण एवं रखरखाव
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ड्रिप सिंचाई प्रणाली का निर्माण एवं रखरखाव

फसल का उत्पादन बढ़ाने में ड्रिप सिंचाई की अहम भूमिका है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली से काम लेने के लिए यह आवश्यक है कि इसका रखरखाव अच्छे तरीके से किया जाये। बागवानी फसलों में पौधे से पौधे की दूरी अधिक होने के कारण ऑनलाइन लेटरल पाईपें और ड्रिपर का प्रयोग किया जाता है। यदि क्षेत्र आवारा पशुओं से सुरक्षित है और फसल में पौधे से पौधे की दूरी निश्चित है तो इन लाईन लेटरल का प्रयोग किया जाता है। यदि क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऊँची नीची है तो ऑनलाइन या इनलाइन लेटरल में प्रेशर कम्पनसैटिंग ड्रिपर का प्रयोग किया जाता है।

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क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन
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क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन

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पीएयू ने बासमती धान में फुट रोट प्रबंधन के लिए पहला जैव नियंत्रण एजेंट पंजीकृत किया
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पीएयू ने बासमती धान में फुट रोट प्रबंधन के लिए पहला जैव नियंत्रण एजेंट पंजीकृत किया

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबीआरसी) के साथ बायोकंट्रोल एजेंट ट्राइकोडर्मा एस्पेरेलम 2 प्रतिशत डब्ल्यूपी को पंजीकृत करके एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुंच गया है। इस पंजीकरण का उद्देश्य बासमती चावल में फुट रोट या बकाने रोग का प्रबंधन करना है, जो इस क्षेत्र में लगातार समस्या रही है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है और राज्य की निर्यात संभावनाओं को खतरा होता है।

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भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा पहला जांस्करी घोड़े नस्ल सुधार का प्रयास
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भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा पहला जांस्करी घोड़े नस्ल सुधार का प्रयास

देश में अच्छी नस्ल के घोड़ों की कमी एक गंभीर समस्या है। ऐसे में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस प्रयोग से अच्छी नस्ल के घोड़ों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। ऐसी ही नस्ल लेह-लद्दाख में पाई जाने वाली देसी टट्टू नस्ल जांस्कारी भी है।

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ड्रोन का कृषि व्यवसाय में बढ़ रहा प्रयोग
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ड्रोन का कृषि व्यवसाय में बढ़ रहा प्रयोग

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कृषि आंकड़ों को बेहतर करेगी डिजिटल फसल सर्वेक्षण
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कृषि आंकड़ों को बेहतर करेगी डिजिटल फसल सर्वेक्षण

वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारत सटीक रकबे का आकलन करने के लिए पूरे देश में उन्नत विश्लेषण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा समर्थित नियमित डिजिटल फसल सर्वेक्षण करके अपनी कृषि सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत करने की योजना बना रहा है।

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