(१) स्वार्थ का त्याग : मेहमान को खिलाओ-पिलाओ, किसीसे मिलो पर 'ये भाईसाहब काम आयेंगे, वे साहब काम आयेंगे...' इस भाव से मत मिलो। इस भाव से मिलोगे तो उतना काम नहीं आयेंगे जितना निःस्वार्थ भाव से मिलोगे तो काम आयेंगे। तो स्वार्थ रखकर जब तुम गिड़गिड़ाते हो तो अंदर से छोटे हो जाते हो और तुम्हारा फायदा दूसरे स्वार्थी लोग उठा लेते हैं। तुम जब निःस्वार्थ हो के मिलते हो और व्यवहार करते हो तब सामनेवाले के हृदय में जो हृदयेश्वर बैठा है वह तुम्हारे लिए ठीक मदद करने के लिए उसको प्रेरित कर देगा। तो 'ये साहब मददरूप होंगे, ये साहब काम आयेंगे, फलाना काम आयेगा, ढिमका काम आयेगा...' इस प्रकार के आकर्षण से अंतःकरण मलिन करके जो व्यवहार किया जाता है उसका फल मधुर नहीं होता है। व्यवहार करो उत्तम ढंग से, स्वार्थ-त्याग करके, स्नेह से।
मोह, स्वार्थ से बच्चों को पालना, परिवार को पालना, स्वार्थ या मोह से पति की सेवा करना या पत्नी को खुश रखना इससे तो पति-पत्नी या कुटुम्बी एक-दूसरे के शत्रु हो जाते हैं।परमात्मा को प्रसन्न करने के नाते पति की सेवा करो और परमात्मा को प्रसन्न करने की खातिर पत्नी का पोषण करो और बच्चों में जो परमात्मा है उसकी सेवा की खातिर बच्चों का पालन करो। ऐसा नहीं कि ‘बच्चे बड़े होंगे फिर हमारी सेवा करेंगे, हम बूढ़े होंगे तब बच्चे हमको कमा के खिलायेंगे।' इस भाव से जो बच्चों को पोसते हैं उनके बच्चे बड़े होकर उनको ऐसा दुःख देते हैं कि वे बूढ़े हो के ताकते ही रह जाते हैं कि 'हमने इतनी- इतनी मेहनत की, इसे पाल-पोसकर बड़ा किया, क्याक्या इच्छाएँ रखीं, उम्मीदें की और अब पत्नी आ गयी तो हमसे अलग हो गया !' ऐसे लोग कराहते रहते हैं । जो भरोसा ईश्वर पर करना चाहिए वह चीज-वस्तु और स्वार्थियों पर किया तो अंत में धोखा और पश्चात्ताप ही हाथ लगेगा। जो प्रेम परमात्मा से करना चाहिए था वह प्रेम पुत्र-परिवार से किया, जो कर्म ईश्वर के नाते करने चाहिए थे वे कर्म तुमने स्वार्थ के नाते किये इसलिए बुढ़ापे में रोना पड़ रहा है। जो भरोसा परमेश्वर पर रखना चाहिए था वह भरोसा अगर पुत्रों पर रखा तो जरूर गड़बड़ कर देगा। तो तुम भरोसा तो भगवान पर रखो और कर्म संसार में करो।
This story is from the February 2023 edition of Rishi Prasad Hindi.
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पुण्य-संचय व भगवत्प्रीति के लिए सर्वोत्तम मास
वैशाख मास: २३ अप्रैल से २३ मई
गर्मी या पित्त संबंधी समस्याओं का बेजोड़ उपाय : सफेद पैठा
सफेद पेठा (भूरा कुम्हड़ा) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि है। इसका पका फल सर्व दोषों को हरनेवाला है।
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।
कैसे नष्ट हो गया था वल्लभीपुर?
मैंने सुनी है एक कथा कि भावनगर के नजदीक वल्लभीपुर नाम का एक नगर था । एक संत कहीं से घूमते-घामते वहाँ पहुँचे। वहाँ एकांत में उन्होंने अपने ध्यान-भजन की जगह चुनी। उनका शिष्य भिक्षा लेकर आता था।
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।
मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन
जिस काल में, जिस देश में और जिस रूप में 'अहं - अहं' का स्फुरण हो रहा है यदि उसी काल, उसी देश और उसी रूप में वही 'अहं' तत्त्वतः परमात्मा न हो तो परमात्मा नाम की किसी वस्तु की सिद्धि, स्थिति या उपलब्धि नहीं हो सकती क्योंकि वह नश्वर, अपूर्ण तथा अप्राप्त होगी।
वास्तविक जीवन
रविदासजी को उनके पिता ने ७ जोड़ी जूते बनाकर दिये। २ रुपये जोड़ी बेचने थे। उन्होंने पिता को १४ रुपये के बदले १२ रुपये दिये।
अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?
२९ अप्रैल को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस है । आप सभीको इस दिन की खूब - खूब बधाई ! इस पावन पर्व पर जानते हैं जन्म-कर्म को दिव्य बनाने का रहस्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही
(पूज्य बापूजी के सत्संग से)
वे ही वास्तव में महान हो जाते हैं!
'मैं कुछ बनूँ...' या 'हम कुछ बनें' यह ईश्वर से अलग अपना अस्तित्व बनाने की, ईश्वर से अलग होकर अपनी कोई विशेषता प्रकट करने की जो कोशिश है यही व्यक्ति का व्यक्तिगत दोष है और समाज का सामाजिक दोष है | बहुत सूक्ष्म बात है।