इस पर्व के दिन सूर्यनारायण मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसको मकर संक्रांति कहते हैं। हर महीने संक्रांति होती है परंतु यह संक्रांति सम्यक् क्रांति का संदेश देती है; लड़-झगड़ के क्रांति नहीं, विधिवत् सबके उत्थान और मंगल की दिशा में ले जानेवाले जो विचार हैं, उन विचारों की प्रेरणा देनेवाली संक्रांति। इस दिन से सूर्य की गति उत्तर की तरफ हो जाती है, अंधकार कम होता चला जाता है, प्रकाश बढ़ता जाता है। भारतीय संस्कृति ने हमेशा ज्ञान-प्रकाश की, आत्मसुख की आराधनाउपासना की है।
तप, त्याग का संदेश दे के जीव को ब्रह्मत्व की यात्रा करानेवाला पावन दिवस है मकर संक्रांति। भीष्म पितामह भी उत्तरायण में ही शरीर छोड़ना पसंद करते हैं। मनुष्य के ६ महीने होते हैं तो देवताओं का एक दिन और मनुष्य के दूसरे ६ महीने होते हैं तो देवताओं की एक रात होती है। मकर संक्रांति को देव जगते हैं।
जीवन के रथ को वासुदेव की तरफ बढ़ायें
वसंत पंचमी, अमावस्या, मकर संक्रांति ये माघ महीने के ३ महत्त्वपूर्ण दिन हैं और इन ३ दिनों में भी मकर संक्रांति विशेष महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। अब आप अपने जीवन के रथ को वासुदेव की तरफ बढ़ायें। विषय-विकारों का सुख देख लिया, प्रतीत होनेवाला धन देख लिया; जो प्रतीति है उसको छोड़ना पड़ता है, जो नित्य प्राप्त है उसको पाना ही प्राप्ति है। आप उस नित्य प्राप्त आत्मा में विश्रांति पाते जायें, अपने आत्मा के आनंद को उभारते जायें, अंतरतम सुख को निखारते जायें।
पुण्यकाल का ऐसे उठायें लाभ
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पुण्य-संचय व भगवत्प्रीति के लिए सर्वोत्तम मास
वैशाख मास: २३ अप्रैल से २३ मई
गर्मी या पित्त संबंधी समस्याओं का बेजोड़ उपाय : सफेद पैठा
सफेद पेठा (भूरा कुम्हड़ा) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि है। इसका पका फल सर्व दोषों को हरनेवाला है।
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।
कैसे नष्ट हो गया था वल्लभीपुर?
मैंने सुनी है एक कथा कि भावनगर के नजदीक वल्लभीपुर नाम का एक नगर था । एक संत कहीं से घूमते-घामते वहाँ पहुँचे। वहाँ एकांत में उन्होंने अपने ध्यान-भजन की जगह चुनी। उनका शिष्य भिक्षा लेकर आता था।
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।
मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन
जिस काल में, जिस देश में और जिस रूप में 'अहं - अहं' का स्फुरण हो रहा है यदि उसी काल, उसी देश और उसी रूप में वही 'अहं' तत्त्वतः परमात्मा न हो तो परमात्मा नाम की किसी वस्तु की सिद्धि, स्थिति या उपलब्धि नहीं हो सकती क्योंकि वह नश्वर, अपूर्ण तथा अप्राप्त होगी।
वास्तविक जीवन
रविदासजी को उनके पिता ने ७ जोड़ी जूते बनाकर दिये। २ रुपये जोड़ी बेचने थे। उन्होंने पिता को १४ रुपये के बदले १२ रुपये दिये।
अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?
२९ अप्रैल को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस है । आप सभीको इस दिन की खूब - खूब बधाई ! इस पावन पर्व पर जानते हैं जन्म-कर्म को दिव्य बनाने का रहस्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही
(पूज्य बापूजी के सत्संग से)
वे ही वास्तव में महान हो जाते हैं!
'मैं कुछ बनूँ...' या 'हम कुछ बनें' यह ईश्वर से अलग अपना अस्तित्व बनाने की, ईश्वर से अलग होकर अपनी कोई विशेषता प्रकट करने की जो कोशिश है यही व्यक्ति का व्यक्तिगत दोष है और समाज का सामाजिक दोष है | बहुत सूक्ष्म बात है।