स्वामी जी कथा को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि “समुद्र तट पर वानरगण किंकर्त्तव्यविमूढ़ हैं। वे मन में विचार कर रहे हैं कि एक मास की अवधि तो व्यतीत हो गई, परन्तु अभी तक सीताजी के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा। सब डरे हुए हैं। भयभीत होकर आपस में बातचीत कर रहे हैं कि अब तो सीताजी की खबर लिए बिना लौटकर भी क्या करेंगे? अंगद भावुक होकर नेत्रों में जल भरकर बोले, 'हमारी तो दोनों ही प्रकार से मृत्यु हो गई। यहाँ तो सीताजी की सुध नहीं मिली और वहाँ जाने पर वानरराज सुग्रीव मार डालेंगे। वे तो पिता के वध होने पर ही मुझे मार डालते। श्रीरामजी ने ही मेरी रक्षा की है। अब मरण होने में कोई सन्देह नहीं है।'
अंगद की बातों को सुनकर वानरगण भी भावुक हो जाते हैं और उनके नेत्रों से भी जलधारा बह चलती है। एक क्षण सोचकर वे कहते हैं कि, 'हे युवराज! हम अब सीताजी की खोज किए बिना नहीं लौटेंगे।' सब यह निर्णय लेकर समुद्र के किनारे कुश बिछाकर बैठ गए और विचार करने लगे। जाम्बवन्त जी ने अंगद सहित वानरगणों की निराशा को दूर करने के उद्देश्य से कहा, 'हे तात! श्रीरामजी को मनुष्य न मानो। उन्हें निर्गुण, ब्रह्म, अजेय और अजन्मा समझो। हम सब सेवक अत्यन्त भाग्यवान हैं कि हमसे सगुण ब्रह्म श्रीराम सदैव प्रीति रखते हैं। देवता, पृथ्वी, गौ और ब्राह्मणों के लिए प्रभु अपनी इच्छा से अवतार लेते हैं। वहाँ सगुणोपासक सब प्रकार के मोक्षों को त्यागकर उनकी सेवा में साथ रहते हैं।'
This story is from the January 2023 edition of Jyotish Sagar.
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शराब की लत छुड़ाने के सरल उपाय!
नशा एक बहुत ही नकारात्मक और परिवारों को नष्ट करने वाला होता है और इसी नशे की लत के चलते जातक अपने घर, कॅरिअर आदि सब-कुछ बर्बाद कर देता है।
वास्तु शास्त्र से जानें कौनसे पेड़ लगाने चाहिए और कौनसे नहीं?
घर के समीप अशुभ वृक्ष लगे हों और उनको किसी कारण से नहीं काट सकते हों, तो अशुभ वृक्ष और घर के बीच में शुभ फल वाले वृक्ष लगा देने चाहिए।
अहिंसा के प्रवर्तक भगवान् महावीर
जैन धर्म की चार संज्ञाओं का बहुत महत्त्व है। प्रथम संज्ञा है 'जिनेन्द्र' अर्थात् जिन्होंने इन्द्रियों को जीतकर अपने वश में कर लिया है। दूसरी ‘अरिहंत’ अर्थात् जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया है। तीसरी संज्ञा 'तीर्थंकर' है।
ज्योतिष और वैवाहिक सुख
जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह हमारे मानव जीवन में अहम स्थान रखते हैं। यह समस्त प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक शुक्र ही है।
वक्री ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
अपनी जन्मपत्रिका में वक्री ग्रह को पहचानकर कोई भी व्यक्ति उस वक्री ग्रह द्वारा परोक्ष रूप से दी जाने वाली सीख को आत्मसात करके अपने जीवन को सरल बना सकता है।
नववर्ष का अभिनन्दन
भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथियाँ मार्च और अप्रैल के माह में आती हैं। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
सर्वसिद्धि-फल प्रदाता पाँच यज्ञ
पाँच यज्ञ जातक प्रतिदिन कर ले, तो उसके सारे रोग, सन्ताप एवं बुरे कर्म ऐसे नष्ट होने लगते हैं, जैसे अग्नि लकड़ी को जलाकर राख कर देते हैं।
नारी को शक्ति मानकर पूजना मात्र पर्याप्त नहीं...
स्त्री यदि वास्तव में दुर्गा एवं शक्ति का अवतार है, तो यह सम्मान उसे प्रत्येक स्तर पर मिलना ही चाहिए। चाहे वह धार्मिक क्षेत्र हो, राजनीति क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या शिक्षा हो।
शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र
रात्रि रूपा यतो देवी दिवा रूपो महेश्वरः रात्रि व्रतमिदं देवी सर्वपाप प्रणाशनम्
ऊर्जा प्रदायिनी आद्याशक्ति
नवरात्र का पर्व व्यक्ति के भीतर स्थित आसुरी शक्ति (काम, क्रोध, असत्य, अहंकार आदि) को नष्ट कर दैवीय सम्पदा के तत्त्वों का प्रार्दुभाव करता है।