ईश्वर की आराधना से सभी प्रकार के कष्ट एवं पापों से मुक्ति मिलती है। ईश्वर की प्रेम भक्ति से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है, किन्तु ईश्वर की भक्ति से पूर्व मन को सात्विक तथा निष्काम बनाना आवश्यक है। ईश्वर का निरन्तर स्मरण करने से व्यक्ति परमधाम को प्राप्त होता है, अन्यथा उसे चौरासी लाख योनियों में ही भटकना पड़ता है। भगवान् श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में कहा है कि चार प्रकार के मनुष्य प्रभु की शरण में जाते हैं :
- वे जो दु:खी हैं, अपने दुःखों से मुक्ति पाने के लिए।
- वे जिन्हें जिज्ञासा है, ईश्वर को जानने की।
- वे जिन्हें धन की आवश्यकता है, सांसारिक कार्यों के लिए।
- वे जिन्हें परम सत्य का ज्ञान है।
किसी कार्य की पूर्ति के लिए प्रभु की पूजा सकाम भक्ति कहलाती है। शुद्ध भक्ति निष्काम होती है और उसमें किसी लाभ की आकांक्षा नहीं रहती। जो परमज्ञानी है और शुद्ध भक्ति में लगा रहता है, वह सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि मैं उसे अत्यन्त प्रिय हूँ और वह मुझे अत्यन्त प्रिय है। जिसकी बुद्धि भौतिक इच्छाओं द्वारा प्रभावित है, वे देवताओं की शरण लेते हैं और अपने स्वभाव के अनुसार पूजा के विशेष विधिविधानों का पालन करते हैं। देवता विशेष की पूजा द्वारा अपनी इच्छा की पूर्ति करते हैं, किन्तु वास्तविकता यह है कि ये सारे लाभ केवल मेरे द्वारा प्रदत्त हैं।
This story is from the November 2022 edition of Jyotish Sagar.
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शिव-शक्ति के महामिलन का दिवस है महाशिवरात्रि
शिव का अर्थ है 'कल्याणकारी'। सृष्टि के कल्याण के लिए ही समुद्र मन्थन से उत्पन्न विष को अपने कण्ठ में उतारा और 'नीलकण्ठ' बन गए। शिव का जो कल्याण करने का भाव है, वही 'शिवत्व' कहलाता है। 'शिवोहम्' का उद्घोष वही व्यक्ति कर सकता है, जो स्वयं के भीतर इस शिवत्व को धारण कर लेता है। उसे अपने आचारव्यवहार में उतार लेता है। महाशिवरात्रि पर शिव की उपासना तभी सार्थक होती है, जब हम दूसरों के कल्याण के लिए विष पीने को भी उद्यत हो जाएँ। इसी तरह हम शिवत्व प्राप्त कर सकते हैं।
सफलता के लिए तिथि के अनुसार करें अपने कार्य
सेना सम्बन्धी कार्य, मुकदमेबाजी जैसे अदालती कार्य निबटाना, वाहन खरीदना, कलात्मक कार्यों जैसे विद्या, गायन-वादन, नृत्य आदि के लिए विशेष शुभ होती हैं।
स्वामी दयानन्द का बोधोत्सव दिवस है शिवरात्रि
आज समस्त आर्य जगत् महाशिवरात्रि को ‘महर्षि दयानन्द बोधोत्सव' के रूप में मनाता आ रहा है।
ऊँट पर बैठे आदमी को कैसे कुत्ता काट लेता है?
जानें हस्तरेखा विश्लेषण से
वास्तुनुरूप उत्तरामुखी भवन पर विशेष समीक्षा
महाशिवरात्रि पर विशेष
जन्मपत्रिका से जानें मकान प्राप्ति के योग
रोटी, कपड़ा और मकान इन तीन चीजों को जीवन-यापन की मूलभूत आवश्यकता माना जाता है। हम अपनी कमाई से रोटी की व्यवस्था करते हैं, कपड़ों की भी व्यवस्था करते हैं, लेकिन एक अपना मकान बनाना अधिक समय और लागत माँगता है।
शिवोपासना की महिमा
सृष्टि के प्रारम्भ में फाल्गुन त्रयोदशी (कृष्ण पक्ष की) तिथि को मध्यरात्रि में भगवान् शिव का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतरण हुआ था। शिवरात्रि के दिन व्रत एवं उपवास रखकर शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करने चाहिए।
शिवरात्रि का वास्तविक मर्म
महाशिवरात्रि पर विशेष
रात्रिजागरण एवं चार प्रहर पजा
08 मार्च, 2024 (शुक्रवार)
होलिका दहन का शास्त्रीय विधान
गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है अर्जुन! जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, अग्नि के अर्पण करते हो, दान देते हो, तपस्या करते हो, उसे मेरे अर्पण करते हुए करो।