बिना शक्ति के शक्तिमान शव के समान है और शक्तिमान के बिना शक्ति स्वयं कोई भी कार्य करने में असमर्थ है। संसार में जो कुछ भी घटित हो रहा है, हो चुका है और होने वाला है, इन सबकी जानकारी प्राप्त करने की क्षमता महाकाल और महाकाली से प्राप्त है। अवतार चाहे विष्णु का हो या शिव का, उसके मूल में साधना ही है।
महाकाल और महाकाली की साधना गुप्त साधना है। यह साधना हर कोई व्यक्ति नहीं कर सकता। जिस प्रकार दस महाविद्याओं की साधना है, उसी प्रकार दस महारुद्र की भी साधना है। महाकाल और महाकाली की साधना में भ्रूमध्य स्थित आज्ञाचक्र के मध्य में एक जव के आकार का छिद्र है, जिसे योग की भाषा में ‘तीसरा नेत्र' भी कहते हैं। उस छिद्र पर ध्यान केन्द्रित करने पर चेतन मन का अस्तित्व उसका स्थान ग्रहण करने लगता है। उस समय मस्तिष्क तरंगों का प्रतिमान बदलने लगता है तथा जैव विद्युत् शक्ति में काफी वृद्धि होने लगती है तथा साधक को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होना प्रारम्भ हो जाता है।
इस ब्रह्माण्ड के सदृश्य असंख्य ब्रह्माण्ड हैं। इनका रहस्य पाना अति कठिन है। सभी का सह अस्तित्व है और प्रत्येक ब्रह्माण्ड में ब्रह्मा, विष्णु और शिव (महाकाल) हैं, जिन पर उसकी सृष्टि, स्थिति और संहार का उत्तरदायित्व है। आगम ग्रन्थों में शक्तियों का उल्लेख इस प्रकार किया गया है : पराशक्ति, आदिशक्ति, इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति, बाला, अन्नपूर्णा, बगला, तारा, वाग्वादिनी, परागायत्री, सिद्धलक्ष्मी, स्वयंवरा, नकुली, तुरंगारूढ़ा, कुरूकुल्ला, रेणुकी, सम्पतकरी, साम्राज्यलक्ष्मी, पद्मावती, शिवा, दुर्गा, काली, भद्राकृति, कालरात्रि, छिन्नमस्ता, भद्रकाली, कालकण्ठी एवं सरस्वती आदि अनेकानेक नाम हैं। करोड़ों कल्पों में भी इनका वर्णन करना असम्भव है।
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शराब की लत छुड़ाने के सरल उपाय!
नशा एक बहुत ही नकारात्मक और परिवारों को नष्ट करने वाला होता है और इसी नशे की लत के चलते जातक अपने घर, कॅरिअर आदि सब-कुछ बर्बाद कर देता है।
वास्तु शास्त्र से जानें कौनसे पेड़ लगाने चाहिए और कौनसे नहीं?
घर के समीप अशुभ वृक्ष लगे हों और उनको किसी कारण से नहीं काट सकते हों, तो अशुभ वृक्ष और घर के बीच में शुभ फल वाले वृक्ष लगा देने चाहिए।
अहिंसा के प्रवर्तक भगवान् महावीर
जैन धर्म की चार संज्ञाओं का बहुत महत्त्व है। प्रथम संज्ञा है 'जिनेन्द्र' अर्थात् जिन्होंने इन्द्रियों को जीतकर अपने वश में कर लिया है। दूसरी ‘अरिहंत’ अर्थात् जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया है। तीसरी संज्ञा 'तीर्थंकर' है।
ज्योतिष और वैवाहिक सुख
जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह हमारे मानव जीवन में अहम स्थान रखते हैं। यह समस्त प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक शुक्र ही है।
वक्री ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
अपनी जन्मपत्रिका में वक्री ग्रह को पहचानकर कोई भी व्यक्ति उस वक्री ग्रह द्वारा परोक्ष रूप से दी जाने वाली सीख को आत्मसात करके अपने जीवन को सरल बना सकता है।
नववर्ष का अभिनन्दन
भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथियाँ मार्च और अप्रैल के माह में आती हैं। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
सर्वसिद्धि-फल प्रदाता पाँच यज्ञ
पाँच यज्ञ जातक प्रतिदिन कर ले, तो उसके सारे रोग, सन्ताप एवं बुरे कर्म ऐसे नष्ट होने लगते हैं, जैसे अग्नि लकड़ी को जलाकर राख कर देते हैं।
नारी को शक्ति मानकर पूजना मात्र पर्याप्त नहीं...
स्त्री यदि वास्तव में दुर्गा एवं शक्ति का अवतार है, तो यह सम्मान उसे प्रत्येक स्तर पर मिलना ही चाहिए। चाहे वह धार्मिक क्षेत्र हो, राजनीति क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या शिक्षा हो।
शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र
रात्रि रूपा यतो देवी दिवा रूपो महेश्वरः रात्रि व्रतमिदं देवी सर्वपाप प्रणाशनम्
ऊर्जा प्रदायिनी आद्याशक्ति
नवरात्र का पर्व व्यक्ति के भीतर स्थित आसुरी शक्ति (काम, क्रोध, असत्य, अहंकार आदि) को नष्ट कर दैवीय सम्पदा के तत्त्वों का प्रार्दुभाव करता है।