वाणिज्यिक विवादों का निर्णय 1986 अधिनियम के तहत समरी कार्यवाही में नहीं किया जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता परिवादी के पास प्रतिवादी उक्त राशि की वसूली के लिए उचित उपाय सिविल कोर्ट के समक्ष दावा प्रस्तुत करना होगा। इसलिए उक्त शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के फैसले के खिलाफ अपीलकर्ताओं (फर्म के भागीदार के कानूनी उत्तराधिकारी) द्वारा दायर सिविल अपील पर फैसला करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिखे गए फैसले में उपरोक्त टिप्पणी की। मामला अपीलकर्ता (ओं) द्वारा प्रतिवादी नंबर 1 निवेश राशि का कथित भुगतान न करने से संबंधित प्रतिवादी ने साझेदारी फर्म में लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें अपीलकर्ता का पति भागीदार है, प्रतिवादी को रुपए 5 लाख पर 18 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 120 महीने मैं राशि का भुगतान करना था । प्रतिवादी नंबर 1 ने निवेशित राशि को समय से पहले जारी करने की मांग की, लेकिन उसे परिपक्वता अवधि तक इंतजार करने के लिए कहा गया। हालांकि, जब परिपक्वता अवधि समाप्त होने के बाद भी राशि वापस नहीं की गई तो उन्होंने उक्त राशि की मांग करते हुए करते हुए उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की।
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डॉक्टर आरती मेहरा ने बताया कि जैसे-जैसे चिलचिलाती गर्मी नजदीक आती है, हमारे शरीर को जलयोजन और ताजगी की पहले से कहीं अधिक चाहत होती है।
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फर्जी तरीके से मकान आवंटन मैं 12 साल बाद यूडीए का बाबू गेहलोत, सर्विस प्रोवाइडर अग्रवाल गिरफ्तार
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18 इंजीनियरों के खिलाफ जारी है विभागीय जांच
80 करोड के फर्जी भुगतान में
इंदौर की 25 हजार बिल्डिंग हो जाएंगी सील...अगर एक महीने में नहीं माने कलेक्टर के ये नियम
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