नियामक के कदम से इस उद्योग की विश्वसनीयता भी बढ़ी है। इस क्षेत्र की कंपनियों ने नियामक के कदम का स्वागत किया है। मगर कई स्थानीय क्रिप्टो इकाइयों को यह अंदेशा भी सता रहा है कि वैश्विक कंपनियों के आने पर उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
माना जा रहा है कि अब फाइनैंशियल इंटेलिजेंस यूनिट-इंडिया (एफआईयू-भारत) के पास पंजीकृत क्रिप्टो कंपनियों और अपंजीकृत विदेशी कंपनियों के बीच नियामकीय अंतर कम हो जाएगा क्योंकि क्यूकॉइन और बाइनैंस जैसी विदेशी कंपनियों ने एफआईयू के नियमों को मानते हुए ही पंजीकरण कराया है।
क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनी कॉइनडीसीएक्स के को-फाउंडर एवं सीईओ सुमित गुप्ता कहते हैं, ‘भारत में क्रिप्टोकरेंसी उद्योग और व्यवस्था के लिहाज से देखा जाए तो किसी भी कंपनी का किसी विभाग या नियामक के अंतर्गत आना अच्छा है क्योंकि प्लेटफॉर्म पर चल रही गतिविधियों पर नजर रखी जाती है।’ उन्होंने कहा कि भारत में कारोबार करने के लिए विदेशी कंपनियों का यहां के कानूनों का पालन करना जरूरी है।
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