फंडों का प्रदर्शन
■ बीते साल करीब 50 फीसदी लार्जकैप फंडों ने बेंचमार्क को मात दी है, फिर भी वित्तीय सलाहकार इस श्रेणी में सक्रिय होने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं
■ निवेशकों को ऐक्टिव और पैसिव फंडों को मिलाकर निवेश करना चाहिए
एसऐंडपी डाओ जोन्स कैप सूचकांक ने हाल ही में दिसंबर में खत्म कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए एसऐंडपी सूचकांक बनाम ऐक्टिव फंड (एसपीआईवीए) भारत का स्कोरकार्ड जारी किया है। पांच साल के लिहाज से 85.7 फीसदी लार्जकैप फंड अपने बेंचमार्क को मात देने में विफल रहे। लेकिन मिड और स्मॉलकैप श्रेणी में संख्या 58.1 फीसदी से कम रही।
मुख्य बातें
ऐक्टिव फंड अपने बेंचमार्क को मात देने के लिए जूझ रहे हैं, खासकर लंबी अवधि वाले। मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) प्रोडक्ट प्रमुख एवं फंड मैनेजर सिद्धार्थ श्रीवास्तव का कहना है, ‘अगर आपको लगता है कि ऐक्टिव फंडों में निवेश कर ही आप अल्फा का आनंद ले सकते हैं तो यह गलत है। पैसिव फंडों को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं करें क्योंकि वे अपने बेंचमार्क के जैसे ही रिटर्न देते हैं।’
Diese Geschichte stammt aus der April 12, 2024-Ausgabe von Business Standard - Hindi.
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