यूनिकॉर्न की थमी रफ्तार
■ निवेशकों ने कहा कि 107 यूनिकॉर्न में से काफी फर्म' जॉम्बी' स्टार्टअप बन सकती हैं
■ जॉम्बी आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करता रहता है मगर कारोबार बंद नहीं करता
■ पिछले दो साल में कई स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया था लेकिन इस साल एक भी नई यूनिकॉर्न नहीं बनी है
अभी तक भारत के स्टार्टअप बाजार में 'यूनिकॉर्न' बनने की होड़ लगी हुई थी मगर निवेशकों की नजर में यह तमगा भर है, जिस पर स्टार्टअप को इतराना नहीं चाहिए। निवेशकों का कहना है कि कंपनी की असली हैसियत तब पता चलती है, जब उसे कोई रणनीतिक खरीदार मिलता है या जब वह पूंजी बाजार में उतरती है।
निवेशक यह भी मानते हैं कि इस समय मौजूद 107 से ज्यादा यूनिकॉर्न में से अधिकतर 'जॉम्बी' स्टार्टअप हैं। जॉम्बी स्टार्टअप उसे कहते हैं, जिसका मजबूत कारोबारी मॉडल नहीं होता और जो आगे बढ़ने के लिए चुनौतियों से जूझती रहती है मगर कारोबार बंद नहीं करती।
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