जालंधर निर्यात का बहुत बड़ा केंद्र है और चमड़े के सामान के अलावा खेलकूद का सामान तथा विभिन्न उपकरण भी यहां से बाहर भेजे जाते हैं। चूंकि यहां कारखानों और मजदूरों के बल पर होने वाले काम का ही बोलबाला है, इसलिए उद्यमियों ने अभी कामगारों के लिए दरवाजे खोलने शुरू ही किए थे। मगर अप्रैल में लू चलने और कोविड के बाद आर्थिक स्थिति तेजी से सुधरने के कारण बिजली की मांग सरकार के अनुमानों से कहीं तेज बढ़ गई। इससे जालंधर के औद्योगिक क्षेत्र फोकल पॉइंट में एक साथ कई दिक्कतें खड़ी हो गईं।
अनियमित बिजली कटौती के कारण कुछ कारखानों की उत्पादन क्षमता पर खासा असर पड़ रहा है। कुछ उद्यमियों ने बिजली किल्लत के कारण अपनी उत्पादन योजना में बदलाव किया है। कारखाना मालिकों का कहना है कि बिजली अचानक जाने से कई बार कम उत्पादन होता है और किसी दिन तो नहीं के बराबर उत्पादन होता है। मगर मजदूरों को पूरा पैसा देना पड़ता है। । इससे लागत पर असर पड़ा है और बिजली कटने पर महंगे डीजल जेनरेटरों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जो खर्च और बढ़ा रहे हैं।
देश में निर्यातकों के महासंघ फियो के उत्तरी क्षेत्र के चेयरमैन अश्वनी कुमार कहते हैं, 'अनिश्चितता के बावजूद हमने किसी तरह उत्पादन पहले जैसे स्तर पर बनाए रखा। पिछले शुक्रवार को सरकार ने हमें शनिवार को कारखाने नहीं चलाने के लिए कहा मगर बाद में आदेश वापस ले लिया गया। इस बीच हम मजदूरों को अगले दिन की छुट्टी दे चुके थे। उन्हें अचानक वापस बुलाना पड़ा और 75 फीसदी क्षमता के साथ कारखाने चलाए गए।'
This story is from the May 13, 2022 edition of Business Standard - Hindi.
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