हिमाचल प्रदेश का मनाली हिल स्टेशन अब तक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बन चुका होता लेकिन यहां पसरी गंदगी शायद उसे राष्ट्रीय स्तर का भी नहीं रहने दे रही. जो पर्यटक मन में अपार उत्सुकताएं और उत्साह ले कर मनाली जाते हैं, वहां की गंदगी देख वे यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि कचरे और गंदगी के ये ढेर तो हमारे शहर में भी कम नहीं, फिर यहां आने की तुक क्या?
यह खीझ मनाली घूमते वक्त भी बनी रहती है. मनाली बसस्टैंड को इस बात का गौरव मिला हुआ है कि यहां प्रतिदिन लगभग 100 वौल्वो बसें आती हैं जिन से करीब 5 हजार सैलानी उतरते हैं और इस से कई गुना ज्यादा निजी व दूसरे वाहनों से आते हैं.
बसस्टैंड पर पहला कदम रखते ही कीचड़, धूल और गंदगी के ढेर के दर्शन पर्यटकों को होते हैं तो उन का बर्फीली पहाड़ियों पर लुत्फ लेने का सपना हवा हो जाता है. इकलौता ई-शौचालय अकसर खाली नहीं रहता, यदि रहता भी है तो उस में दाखिल होने की इच्छाशक्ति आमतौर पर यहां आए सैलानियों में नहीं होती. सब से ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है.
जो लोग दूसरी बार मनाली आते हैं वे यह सोच कर और दुखी हो उठते हैं कि कुछ नहीं सुधरा यहां, सबकुछ वैसा ही है जैसा 5-10 साल पहले था. मनाली बसस्टैंड सालों से अपने नए और आधुनिक बनने की बाट देख रहा है. इस के न बनने को ले कर सरकारी एजेंसियां एकदूसरे के सिर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ अपने रास्ते हो लेती हैं.
नगर परिषद बसस्टैंड की गंदगी का जिम्मा हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कौरपोरेशन पर डाल दिया जाता है कि प्रबंधन का काम उस का है. लेकिन इस बात पर उस के मुंह में दही जम जाता है कि शहर में जो जगहजगह गंद और कूड़े के ढेर लगे हैं उन की सफाई की जिम्मेदारी किस की है. सफाई का ठेका नए ठेकेदार को देने के बाद भी गंदगी ज्यों की त्यों क्यों है.
इस गंदगी से मनाली बदनाम हो रहा है और अब वहां जाने के नाम से सैलानी बिदकने लगे हैं क्योंकि गंद गोंपा रोड पर भी है और मिशन अस्पताल के आसपास भी है जिस से अब स्थानीय लोग भी तंग आने लगे हैं, लेकिन कोई सुनवाई कहीं नहीं होती.
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